लखनऊ। विवेकानंद पॉलीक्लीनिक के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर एक साधु का पैर कटने से बचा लिया। साधु की दाहिने पैर की नस क्षतिग्रस्त हो गई थी। चिकित्सकों ने बाएं पैर की नस निकालकर दाहिने पैर में लगा दी। साधु खड़े बाबा के नाम से मशहूर हैं।
पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज से ग्रसित
गोंडा के परसपुर स्थित मंदिर में रहने वाले मिथिलेश शरण (40) एक पैर पर 18 साल से खड़े होकर साधना कर रहे थे। वे गांजा व तम्बाकू का सेवन भी कर रहे थे। इससे उनके दाएं पैर की नस पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज से ग्रसित हो गई थी। साधु के समर्थकों ने कई अस्पताल में दिखाया तो पैर काटने की सलाह दी गई।
पैर काला पड़ गया
खड़े बाबा को समर्थकों ने विवेकानंद पॉलीक्लीनिक में दिखाया। यहां के सचिव स्वामी मुक्तिनाथानंद ने देखा और बताया कि खून की सप्लाई रुकने से पैर काला पड़ गया है। सीवीटीएम विभाग के डॉ. एसके चौधरी की निगरानी में ऑपरेशन के बाद साधू का पैर ठीक हो गया। ऑपरेशन करीब तीन घंटे चला। इस दौरान बाएं पैर की करीब 46 सेमी लंबी नस को निकालकर दाएं पैर में लगाया गया। उन्होंने बताया कि ऐसी नस निकाली गई थी, जिसके ना रहने पर भी उस पैर में कोई दिक्कत नहीं होगी।
ऑपरेशन टीम
टीम में डॉ. चौधरी के साथ डॉ. एसडी पांडेय, डॉ. विवेक गोस्वामी, डॉ. अमित त्यागी, डॉ. राजीव गुप्ता भी थे।