नई दिल्ली। आज के समय में तनाव एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है कि तनाव अगर लंबे समय तक बना रहता है तो यह घातक साबित हो सकता है। हमारे शरीर में तनाव झेलने की क्षमता एक सीमित समय तक ही होती है। इस लेख में हम आपको तनाव से होने वाले नुकसान और इससे बचने के उपायों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
भारतीयों पर हावी हो चुका तनाव
2018 में हुए सिगना टीटीके हेल्थ इंश्योरेंस के सर्वे में पाया गया कि 89 फीसदी भारतीय लगातार तनाव झेल रहे हैं। वहीं दुनिया में लगातार तनाव से जूझने वालों का औसत प्रतिशत 86 है। इसके बाद जनवरी 2019 में, अनुसंधानकर्ताओं ने भारत के 120 गावों में एक सर्वे किया और यह पता लगाने की कोशिश की कि मां तनाव में हो तो नवजात शिशु पर क्या असर होता है? रिसर्च में पता चला है कि यदि मां लगातार तनाव में है तो इसका 12 से 18 माह के बच्चे पर पांच तरह से असर पड़ता है – ऊंचाई, वजन, हाथ-पैरों की सक्रियता, सीखने-समझने के साथ ही भाषाई क्षमता।
ये हो सकते हैं कारण
तनाव के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। काम का दबाव, आपसी रिश्तों की खटास या आर्थिक तंगी, कारण चाहे जो हो, लेकिन असर एक जैसे हैं। तनाव जितना ज्यादा रहेगा, हमारे शरीर को स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल से जूझना पड़ेगा। कुछ मामले में तनाव स्थायी हो जाता है और यह स्थिति बहुत बुरी होती है।
शरीर को ऐसे नुकसान पहुंचाता है तनाव
शरीर में लंबे समय से तनाव बना हुआ है तो यह दिमाग पर असर डालता है। इन्सान की मानसिक शक्ति कमजोर होती जाती है। उसका मूड बनता-बिगड़ता रहता है। थोड़़ा तनाव अच्छा होता है। इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, लेकिन तनाव लंबे समय से बना हुआ है तो प्रतिरोधक क्षमता घटा देता है। ऐसे इन्सान पर बीमारियां हावी होने लगती हैं। लंबे समय से शरीर में तनाव है तो इसका असर एक किस्म की व्हाइट ब्लड सेल साइटोटोक्सिक टी लिम्फोसाइट्स की कार्यक्षमता पर पड़ता है जो शरीर को कैंसर जैसी बीमारी से लडऩे की ताकत देती है।
हार्ट पर कैसे अटैक करता है तनाव ?
जब कोई इन्सान तनाव में होता है तो शरीर का नर्वस सिस्टम सिम्पेथेटिक अल्फा-एड्रीनर्जिक रिसेप्टर्स रिलीज करता है। साथ ही गुर्दे से जुड़ी ग्रंथियां रक्त में कैटेकोलामाइन या तनाव हार्मोन जारी करती हैं। इन दोनों (रिसेप्टर्स और हार्मोन) के मिलने से हृदय की धड़कनें बढ़ती हैं। इस कारण हाथ, पैर और हार्ट की तरफ रक्त का प्रवाह बढ़ता है। नतीजन शरीर में ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ती है और यह जरूरत पूरी नहीं होती है तो सीधा असर हार्ट पर पड़ता है और अटैक की आशंका रहती है।
न भूख लगेगी, ना खाया हुआ पचेगा
तनाव का शरीर पर एक और बड़ा हमला गैस्ट्रोइन्टेस्टनल सिस्टम यानी जठरांत्र प्रणाली या पाचन प्रणाली पर होता है। यह हमला दो मोर्चों पर होता है। पहला – तनाव में इन्सान को भूख नहीं लगती और दूसरा – वो जो भी खाता है वो पचता नहीं है। इसके कारण इरिटेबल बाउल सिन्ड्रॉम (आईबीएस) जैसे डिस्ऑर्डर पैदा होते हैं। आईबीएस से सबसे ज्यादा नुकसान बड़ी आंत को होता है। यानी तनाव हमारी आंतों पर भी नकारात्मक असर डालता है।
तनाव से डरे नहीं, सामना करें
विभिन्न रिसर्च में कहा गया है कि थोड़ा-बहुत तनाव जिंदगी का हिस्सा है। हमें यह समझना होगा कि तनाव से कैसे निपटा जाए। परिस्थितियों का सामना सही तरीके से करेंगे तो तनाव का बुरा असर नहीं होगा। कितना भी काम हो, कितना भी तनाव हो, रिलेक्स होने का समय निकालें। कोई समस्या है तो अपने रिश्तेदारों-दोस्तों से बात करें। समस्याओं का सही हल, तनाव से निजात दिला सकता है।
ऐसा जरूर करें
तनाव को दूर रखना है तो खुद को सेहतमंद रखें। अच्छा खाएं, योगा-प्राणायम, व्यायाम करें। पैदल चले, स्वीमिंग करें, दौड़े- किसी भी तरह की ऐसी वर्जिश दिन में कम से कम 35 मिनट जरूर करें। ऐसा करने पर अच्छा महसूस होगा और शरीर में खुशी पैदा करने वाला एंडोर्फिन यानी हैप्पी हार्मोन दिनभर बना रहेगा।
वैज्ञानिकों ने यह पाया
तनाव से मुक्ति चाहते हैं तो दिन में कम से कम 7 से 8 घंटे जरूर सोएं। वैज्ञानिकों ने अब पता लगा लिया है कि अच्छी नींद का हेल्दी हार्ट और हेल्दी ब्रेन के साथ पक्का संबंध है। जब हम सोते हैं तब हमारा दिमाग सूचनाओं को खंगालता है। अगली बार यदि कोई आइडिया चाहिए तो संबंधित टॉपिक पर रिसर्च करने के बाद सो जाएं, उठेंगे तो शानदार आइडिया मिलेगा। हां, यह जरूर देखे लें कि आइडिया मिलने के बाद प्रजेंटेशन बनाने के लिए कितना समय मिलेगा, क्योंकि जो लोग जरूरी काम को अंतिम समय तक टालते हैं, वे ज्यादा तनाव में रहते हैं। अपने हर काम को अच्छी तरह प्लान करें। किसी भी योजना पर काम शुरू करने से पहले अच्छी और बुरी बातों का अध्ययन जरूर कर लें। इससे आप गैरजरूरी तनाव से बचे रहेंगे।