लखनऊ। कैंसर के मरीजों की तादात लगातार बढ़ रही है। समय के साथ-साथ तकनीकों में भी बदलाव आया है। लगातार तकनीकें भी विकसित हुई हैं। अब शुरू में ही कैंसर के बारे में जान पाना आसान हो गया है। कैंसर जैसी घातक बीमारी के लिए प्रोटॉन थेरेपी काफी कारगर साबित हो रही है।
यह जानकारी एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन आंकोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया (एआरओआई) के अध्यक्ष डॉ. राजेश वशिष्ठ ने हजरतगंज स्थित एक होटल में पत्रकार वार्ता के दौरान दी। यहां केजीएमयू के रेडियोथेरेपी और रेडियोलॉजी विभाग के 32वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर प्रेस कांफ्रेंस किया गया था।
पीडि़त मरीजों को मिलेगा इसका फायदा
डॉ. राजेश वशिष्ठ ने कहा कि भारत के कुछ संस्थानों में प्रोटॉन थेरेपी मशीन स्थापित की जा रही है। इस थेरेपी का फायदा कैंसर से पीडि़त मरीजों को मिलेगा। शरीर के किसी भी हिस्से में ट्यूमर के इलाज में इस थेरेपी से इलाज करने में आसानी होगी। केजीएमयू कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट ने कहा कि कैंसर मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
संसाधन कम है, नतीजतन मरीजों को इलाज के लिए बड़े शहरों की तरफ भटकना पड़ रहा है। केजीएमयू रेडियोथेरेपी विभाग के डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि सोमवार को रेडियोथेरेपी व रेडियो डायग्नोसिस विभाग का 32वां स्थापना दिवस समारोह मनाया जाएगा।
ऐसे होगा काम
डॉ. राजेश ने बताया कि प्रोटॉन थेरेपी में रेडिएशन सीधे ट्यूमर व कैंसर सेल को नष्ट करेगा। इस मशीन से शुरुआत में रेडिएशन की डोज कम निकलेगी। जैसे ही रेडिएशन कैंसर वाले हिस्से में पहुंचेगा उसकी पूरी डोज निकलेगी और कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट कर देगी। इससे स्वास्थ्य कोशिकाओं को रेडिएशन के खतरों से बचाया जा सकेगा।
मरीज ज्यादा, मशीनों की संख्या कम
डॉ. राजेश वशिष्ठ ने कहा कि लीनैक मशीन से कैंसर मरीजों की सिकाई की जा जाती है। पूरे देश में करीब 300 से 350 मशीनें ही हैं। जबकि कैंसर मरीजों की संख्या के हिसाब से कम से कम 700 से 800 मशीनें होनी चाहिए।