लखनऊ। जनसंख्या वृद्धि में तभी सुधार हो सकता है जब महिला शिक्षा पर ज़ोर दिया जाये, आर्थिक व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़े। चिकित्सक विरोधी कानूनों में संशोधन हो और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा महिलाओं व पुरुषों को जागरूक किया जाए। इन सभी चीजों पर हमारी सरकार ध्यान दे रही है लेकिन हमें अभी और प्रयास करने की जरूरत है। उक्त बातें सिफ्सा की प्रशिक्षण एवं कौशल विकास की उप महाप्रबंधक रीटा बनर्जी ने कही।
बढ़ती हुयी जनसंख्या को बोझ नहीं समझना चाहिए
अवध गल्र्स डिग्री कॉलेज में स्टेट इनोवेशन इन फैमिली प्लानिंग सर्विसेस प्रोजेक्ट एजेंसी (सिफ्सा) द्वारा मंगलवार को ‘एड्रेसिंग हेल्थ इश्यूस ऑफ यूथ बाय स्टेबलिशिंग यूथ फ्रेंडली सेंटर्स इन डिग्री कॉलेज रनिंग एनएसएस’ के तहत वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता का विषय था – भारत में बढ़ती जनसंख्या का उन्नति में योगदान या बाधक। प्रतिभागियों ने बढ़ती जनसंख्या के पक्ष में बात रखते हुये कहा कि हमें बढ़ती हुयी जनसंख्या को बोझ नहीं समझना चाहिए बल्कि इसको एक संसाधन के रूप में देखना चाहिए। हम अपने इन मानव संसाधन का समुचित रूप से उपयोग कर देश में आर्थिक, सामरिक सहित हर क्षेत्र में विकास कर सकते हैं। देश में जितने लोग होंगे वे देश के विकास में अपना योगदान देंगे। हर व्यक्ति में कोई न कोई गुण अवश्य होता है जिसके आधार पर देश के विकास के लिए काम करता है।
जनसंख्या का बढऩा देश के हित में नहीं
बढ़ती जनसंख्या के विपक्ष में प्रतिभागियों ने अपनी बात रखते हुये कहा कि जनसंख्या का बढऩा देश के हित में नहीं है क्योंकि प्राकृतिक संसाधन तो सीमित ही हैं। हम कब तक उनका उपयोग करेंगे। एक दिन तो आएगा कि जब यह संसाधन नष्ट होने लगेंगे। इसको आज हम इस बात से समझ सकते हैं कि आज गर्मी बहुत ज्यादा पडऩे लगी है। बेमौसम बरसात होती है। यह सब पर्यावरण असंतुलन के कारण ही हो रहा है। चेन्नई में पानी का जल स्तर बहुत नीचे चला गया है। यह भी बढ़ती हुयी जनसंख्या का दुष्परिणाम है। इसका असर हमें शिक्षा, स्वास्थ्य सहित सभी क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। सरकार द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में अथक प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन हम देखें तो विश्व में हमारी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
परिवार नियोजन से ही नियंत्रित कर सकते हैं जनसंख्या वृद्धि
सिफ्सा के प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के जनरल मैनेजर संजय सेन गुप्ता ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि को परिवार नियोजन के द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है। जिसके लिए सरकार द्वारा महिलाओं व पुरुषों दोनों के लिए अनेक साधन उपलब्ध कराये गए हैं। यह साधन स्थायी व अस्थायी दोनों तरह के होते हैं। महिलाओं व पुरुषों की सहभागिता बराबर की होनी चाहिए और पुरुषों को भी अपनी जि़म्मेदारी समझते हुये परिवार नियोजन में आगे आना चाहिए। तभी हम अपने मकसद में सफल हो पाएंगे।
ये थे मौजूद
इस अवसर पर, सिफ्सा की कार्यक्रम अधिकारी मीनू शुक्ला, सिफ़्सा के मण्डल कार्यक्रम प्रबन्धक राजाराम यादव, सिफ़्सा के मंडल एकाउंट मैनेजर विजय कुमार, मंडलीय परिवार नियोजन कंसल्टेंट बबलू यादव, कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ. उपमा चतुर्वेदी, प्रवक्ता डॉ. सुष्मिता कौर, डॉ. प्रीति अवस्थी, डॉ. सुरप्रीत, डॉ. मौलश्री शुक्ल व डॉ. नीतू अग्रवाल उपस्थित थे।
नेहा को प्रथम पुरस्कार
कार्यक्रम के अंत में विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया। प्रथम पुरस्कार स्नातक तृतीय वर्ष की नेहा यूसिंह, द्वितीय पुरस्कार भी स्नातक तृतीय वर्ष की स्मृति श्रीवास्तव व तृतीय पुरस्कार स्नातक द्वितीय वर्ष की अनन्या मुखर्जी को दिया गया।