लखनऊ/कानपुर। आयुर्वेद पद्धति से जटिल से जटिल इलाज सम्भव है। एक मात्र भारत देश ही ऐसा है, जहां योग के जरिये सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। योग विधा के साथ ही औषधि का रास्ता अपनाकर आयुर्वेद की प्राप्ति होती है। उक्त बातें सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर में कही। वे अखिल भारतीय आयुर्वेद सम्मेलन में शिरकत करने शनिवार को कानपुर पहुंचे थे।
औषधि का रास्ता अपनाकर आयुर्वेद की प्राप्ति
मोतीझील स्थित लॉन नंबर तीन में आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि एक मात्र भारत देश ही ऐसा है, जहां योग के जरिये सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। योग विधा के साथ ही औषधि का रास्ता अपनाकर आयुर्वेद की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद विधा से जुड़कर वर्तमान में समस्त रोगों का इलाज सम्भव है, लेकिन आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञों को इस पद्धति से जुड़े रहना होगा और किसी भी प्रकार की भ्रांति (संकोच) को हावी नहीं होने देना चाहिए। यदि आयुर्वेद पर उनका यह रवैया नहीं खत्म होगा तो एलोपैथ चिकित्सा आयुर्वेद पर हावी रहेगी। इसलिए आयुर्वेद से जुड़े चिकित्सक अपनी पद्धति की महत्ता को समझे और मौजूदा समय की मांग को देखते हुए इसकी ब्रांडिंग करें। ताकि प्रचार के जरिये अपनी चिकित्सा पद्धति को एलोपैथ विधा पर हावी कर आगे ले जाने में कामयाब हो।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि 1970 में गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ में आयुर्वेदिक कॉलेज था। यहां पर पूरी तरह से आयुर्वेद से इलाज की व्यवस्था किया जाना था, लेकिन उस समय इस पद्धति को गति देने में सफलता नहीं मिल सकी थी। इसके चलते इस चिकित्सा पद्धति को रोक दिया गया था, लेकिन मौजूदा समय में वहां पर तीन सौ बेड का अस्पताल है और रोगियों को इलाज मिल रहा है।
बाराबंकी में खुलेगा आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय
मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि उत्तर प्रदेश में आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय खोले जाएंगे। इसकी शुरुआत केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर कराई जाएगी। योजना के पहले ही चरण में 10 करोड़ की लागत से बाराबंकी में आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय तैयार कराया जाएगा। जहां पर चिकित्सकों द्वारा रोगियों को बीमारियों का उचित जांच के साथ ही इलाज उपलब्ध होगा। कार्यक्रम में सर्वप्रथम मुख्यमंत्री ने दीप जलाकर प्रदर्शनी व महासम्मेलन का उद्घाटन किया।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने हेलीकॉप्टर से चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में बने हैलीपेड पर उतरे और चन्द्रखेखर आजाद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। वहां से मुख्यमंत्री कार द्वारा सीधे मोतीझील स्थित कार्यक्रम स्थल पहुंचे। मुख्यमंत्री करीब एक घंटे तक कार्यक्रम स्थल पर रहे और आयुर्वेद महासम्मेलन का उद्घाटन व प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम में आयुर्वेद से जुड़े देशभर के नामी गिरामी डॉक्टरों ने भाग लिया। कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री योगी चकेरी एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से वह दिल्ली के लिए हवाई मार्ग से रवाना हो गये। मुख्यमंत्री आगमन के चलते सुबह से ही सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजामात किये गये थे।
ओपीडी में रोगियों को देखा
कार्यक्रम में सांसद मुरली मनोहर जोशी, केन्द्रीय मंत्री श्रीपद एसो. नाइक (स्वतंत्र प्रभार), प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना, सत्यदेव पचौरी, धर्म सिंह सैनी (स्वतंत्र प्रभार), महापौर प्रमिला पाण्डेय और विधायक नीलिमा कटियार, अभिजीत सिंह सांगा आदि मौजूद रहें। नाड़ी चिकित्सक ओपीडी में मरीजों का कर रहे इलाज महासम्मेलन में आए आयुर्वेद चिकित्सकों ने यहां बनी ओपीडी में रोगियों को देखा। ओपीडी में स्त्री व पुरुषों को देखने के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है। यहां पर सबसे खास नाड़ी विशेषज्ञ चिकित्सकों की ओपीडी का है।
चिकित्सकों ने पंचकर्म चिकित्सा पद्धति के बारे में दी जानकारी ्र
जहां चिकित्सक रोगियों को नाड़ी देखकर उनकी बीमारी व उसके उपचार के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसके अलावा यहां पर रोगियों को जांच करते हुए चिकित्सकों द्वारा पंचकर्म चिकित्सा पद्धति के बारे में जानकारी दी जा रही है। चिकित्सकों ने बताया कि आयुर्वेद पद्धति में सबसे पहला वमन (उल्टी कराना), दूसरा विरेचन (दस्त कराना), तीसरा नस्य (नाक के अंदर तेल डालना), चौथा वस्ती (गुदा द्वारा औषधि डालना) और पांचवा रक्तमोक्षम (शरीर से गंदा खून बाहर करना) शामिल है। यहां पर बनी ओपीडी में पहले ही दिन लोगों की भारी भीड़ पहुंच रही है और चिकित्सक उसकी जांच कर इलाज के बारे में उचित परामर्श व दवाइयां दे रहे हैं।