लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून गुरुवार को राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में सर्जिकल ऑफ गैस्ट्रोइंटरोलॉजी की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में मोटापा बीमारी से लड़ रहे लोगों के बीच जागरुकता फैलाने को लेकर था। डॉ. अंशुमान के कहा कि कैंसर के बाद मोटापा दूसरा सबसे बड़ा मौत का कारण बनता जा रहा है।
नियमित योग जरूरी
इस दौरान कार्यक्रम में शामिल संस्थान के डायरेक्टर दीपक मालवीय ने कहा कि वजन कंट्रोल करने के लिए नियमित योग जरूरी है इसके साथ ही लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव लाकर भी इस बीमारी से बचा जा सकता है।
वहीं कार्यक्रम में विभाग के डॉ. अंशुमान पाण्डेय ने कहा कि सीजीएचएस ने मोटापे को बीमारी बताया है। Bariatric सर्जरी के द्वारा इससे बहुत से लोगों को राहत मिली है। इधर, कार्यक्रम में मोटापे से निजात पाए लोगों को भी बुलाया गया था।
सर्जरी के बाद न्यूट्रीशन जरूरी, दिलाया संकल्प
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं आर्ट ऑफ लीविंग की टीचर अनीशा जी ने योग के बारे में मौजूद लोगों को विस्तार से बताया। अगर आपकी Bariatric सर्जरी हो गई है तो न्यूट्रीशन जरूरी है और इसके साथ ही शरीर को कुछ माइक्रोन्यूट्रीशन की भी जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि हमें स्वस्थ रहने के लिए सही मात्रा में उपयोगी भोजन करना चाहिए, इसका संकल्प भी लोगों को दिलाया। उन्होंने कहा कि एक्सरसाइज से शरीर को ऑक्सीजन मिलता है। उन्होंने हॉल में मौजूद लोगों को अपनी जगह पर खड़ा करवाकर योग भी कराया। उन्होंने खुद योग करके बताया कि कैसे आप अपने को स्वस्थ रख सकते हैं। मौजूद लोगों ने उनके साथ ही हॉल में योग किया।
मरीजों ने बताई अपनी बात
कार्यक्रम में बलिया के निवासी मो. जहीद ने बताया कि मेरा वजन 1 कुंतल 71 किलो था। Bariatric सर्जरी के बाद अब वह अपने आप को पहले से अच्छा महसूस कर रहे हैं। अब घुटने और चलने में कोई परेशाानी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर और उनकी टीम ने मुझे नई जिंदगी दी है।
कार्यक्रम में सिद्धांत और मेहंदी भी पहुंचे थे। सिद्धांत का वजन 151 किलो से 132 किलो हो गया है। वहीं मेहंदी का वजन सर्जरी के बाद 172 किलो था। उन्होंने कहा के लाइफस्टाइल बदलना है और सर्जरी करवाना है। इसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है।
कार्यक्रम में राजेश और वंदना भी पहुंचे थे। ये दोनों पति-पत्नी हैं। रोजेश की सर्जरी करीब सवा साल पहले हुई थी। उनकी वत्नी वंदना की सर्जरी कुछ दिन पहले ही हुई है। राजेश बताते हैं कि उनका वजन 128 किलो था जबकि अब करीब 89 किलो वहीं उन्की पत्नी का वजन 89 किलो था।
डॉ. ने कही यह बात
डॉ. अंशुमान ने कहा कि कभी-कभी मरीज को ठीक करने में समय लग जाता है यह समय मरीज की बेहतरी के लिए ही होता है। उन्होंने कहा कि यह एक जेनेटिक समस्या भी हो सकती है। ओपीडी में लगातार मरीज इस समस्या को लेकर आ रहे हैं। डॉ. अंशुमान के साथ उनकी टीम के लोगों ने भी मरीजों के ईलाज को लेकर अपने अनुभव साझा किए। वहीं कार्यक्रम के अंत में स्वस्थ हुए लोगों को गमले में एक पौधा लगाकर लोगों को भेंट किया गया।