लोहिया संस्थान में एंडोवैस्कुलर तकनीक से की सर्जरी

मऊ निवासी 17 वर्षीय रोहित को लेकर 10 जनवरी को लोहिया संस्थान पहुंचा। यहां न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. दीपक सिंह व डा. राकेश सिंह के निर्देशन में लड़के का इलाज शुरू हुआ। डॉक्टरों ने उसे भर्ती किया। सीटी एंजियोग्राफी जांच कराई गई। पता चला कि सिर में खून की आपूर्ति करने वाली बायीं तरफ की नली का एक तरफ का हिस्सा गुब्बारे की तरह फूल गया। उसमें खून लगातार भरता जा रहा था। इस वजह से दिमाग की दूसरी नसों पर दबाव बढ़ता जा रहा था। इस वजह से बायीं ओर की पलक में हरकत बंद हो गई थी। मरीज दाहिनी आंख ही ठीक से काम कर रही थी। वहीं सिर में लगातार दर्द बना रहता था। दर्द की वजह से पढ़ाई-लिखाई ठप हो गई थी। डॉ. दीपक सिंह व डॉ. राकेश सिंह ने बताया कि जांच के बाद ऑपरेशन की सलाह दी गई। परिजनों की रजामंदी के बाद ऑपरेशन की तैयारी हुई। दाहिनी जांघ की नस से दिमाग तक तार व दूरबीन डाली गई। चिकित्सा विज्ञान में इस बीमारी को ज्वाइंट ले ट इंटर्नल कैरोटिड आर्टी एनोरिज्जम कहते हैं। इसका इलाज एंडोवैस्कुलर तकनीक से ऑपरेशन किया गया। उन्होंने बताया कि नली के जिस हिस्से में सूजन आ गई थी। गुब्बारा बन गया था। उसके थोड़ा ऊपर व नीचे के हिस्से में स्टंट डाल दिया गया। ताकि खून का बहाव के गुब्बारे वाले हिस्से में रोका जा सके। उन्होंने बताया कि खून का बहाव गैरजरूरी हिस्से में जाने से रोक दिया गया। उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे खून थक्का बनकर खत्म हो जाएगा। बिना चीर फाड़ के ऑपरेशन हो गया। अब खून का पतला करने वाली दवाएं छह माह तक मरीज को खानी होगी। इलाज के बाद मरीज के पलक झकने लगी हैं। वहीं सिर दर्द की परेशानी भी लगभग खत्म हो गई है। लोहिया संस्थान में ऑपरेशन व पूरे इलाज पर करीब 11 लाख रुपये का खर्च आया। वहीं प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने पर कम से कम 22 लाख रुपए का खर्च आता।