
बच्चों को कृमि संक्रमण बचाने के लिए 25 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया जा रहा है। यह अभियान प्रदेश के 25 जनपदों में एक साथ चलाया जाएगा। यह जानकारी मातृ शिशु कल्याण एवं स्टेट नोडल, राष्ट्रीय कृमि दिवस के निदेशक डॉ सुरेश चंद्रा ने दी। डॉ. चंद्रा शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर जीएम आरकेएसके और जीएम आरबीएसके भी मौजूद थे।
मॉप-अप दिवस पर दवाई खिलाकर कृमि मुक्त किया जाएगा
निदेशक डॉ. चंद्रा ने बताया कि यह कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग (बेसिक), माध्यमिक शिक्षा विभाग, पंचायतीराज विभाग, माध्यान भोजन प्राधिकरण (एमडीएम), स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) और अन्य विभागों के प्रयासों और एविडेंस एक्शन के सहयोग से संचालित किया जा रहा है।
कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश के चयनित 25 जनपदों (आगरा, अलीगढ़, बागपत, बिजनौर, बदायूं, बुलन्दशहर, एटा, फिरोजाबाद, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस, जेेपी नगर, झांसी, काशीराम नगर, ललितपुर, मैनपुरी, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, रामपुर, सहारनपुर, संभल और शामली) के सभी स्कूल और आंगनबाड़ी में 1 से 19 साल तक के सभी बच्चों और किशोरों को एल्बेंडाजोल की दवाई खिलाकर कृमि मुक्त किया जाएगा। अनुपस्थिति या बीमारी के कारण जिन बच्चों को एल्बेंडाजोल नहीं खिलाई जा सकी उन्हें एक मार्च को मॉप-अप दिवस पर दवाई खिलाकर कृमि मुक्त किया जाएगा।
22 करोड़ को कृमि संक्रमण
कृमि संक्रमण का बच्चों के स्वास्थ्य और समग्र विकास पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। भारत में कृमि संक्रमण एक जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभर रहा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में 5 से 14 वर्ष तक की उम्र के 22 करोड़ से भी अधिक बच्चों को कृमि संक्रमण का खतरा है। भारत उन देशों में से एक है जहां कृमि संक्रमण और इससे संबन्धि रोग सबसे अधिक पाए जाते हैं। कृमि संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एल्बेंडाजॉल (400 मि.ग्रा) दवाई का सेवन एक सुरक्षित, लाभदायक एवं प्रभावी उपाय है जो साक्ष्य आधारित और वैश्विक स्तर पर स्वीकृत है।
ऐसे में घबराएं न
जिन बच्चों को तीव्र कृमि संक्रमण होता है आमतौर पर उन्हें ही मामूली प्रतिकूल घटना (एडवर्स इफेक्टस) होते हैं जैसे कि जी मिचलाना, पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान आदि। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रतिकूल घटना नीति चरणों का पूरी तरह से पालन किया जाना निर्देशित है और सभी स्तर के अधिकृत अधिकारियों को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है।
पिछले चरण में 5 करोड़ ने खाई दवा
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अगस्त 2018 चरण में 5.05 करोड़ बच्चो और किशोर, किशोरियों को 2.17 लाख स्कूलों और 1.82 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों में कृमि नियंत्रण की दवा खिलाई गयी। इनमें निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की संख्या 1.15 करोड थी और 27.1 लाख स्कूल न जाने वाले बच्चे भी शामिल थे।
1.5 लाख आशा कार्यकर्ताओं ने सामुदायिक जागरुकता एवं संगठन कर इस कार्यक्रम में मुख्य भूमिका निभाई। यह स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग भारत सरकार द्वारा और मानव संसाधन विकास विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग विभागों के संगठित प्रयासों से संभव हो पाया है। उत्तर प्रदेश राज्य आगामी कृमि मुक्ति दिवस फरवरी 2019 के लिए पूरी तरह तैयार है।
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