लखनऊ। मधुमेह रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इसके साथ ही ह्रदयरोग की बीमारियों से भी लोग पीडि़त हो रहे हैं। इन दोनों बीमारियों को दूर करने के लिए जीवनशैली में थोड़ा बदलाव करना जरूरी है। त्वरित लाभ के लिए रोगी एलोपैथ की दवाइयों का सहारा लेता है। कई बार उसे तुरंत आराम तो मिल जाता है लेकिन हर दवा का साइड इफेक्ट होता है।
आयुर्वेद में मधुमेह और ह्रदयरोग का समुचित उपचार है
भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्वति आयुर्वेद में मधुमेह और ह्रदयरोग का समुचित उपचार है। यह बातें मधुमेह और ह्रदयरोग रोगियों के सम्मिलन कार्यक्रम हार्दिक समारोह में चिकित्सकों ने बताईं। कार्यक्रम का आयोजन माधवबाग (जॉपलिंग रोड, हजरतगंज) क्लीनिक ने किया।
खान-पान में नियंत्रण रखना जरूरी
समारोह में उपस्थित दर्जनों रोगियों ने अपने-अपने अनुभव एक दूसरे से शेयर किए। मधुमेह रोगियों ने बताया कि किस तरह आयुर्वेद दवाओं के सेवन और पंचकर्म उपचार के बाद न केवल उनके स्वास्थ्य में आशातीत सुधार हुआ बल्कि वर्षों से चल रहीं उनकी एलोपैथ की दवाएं भी छूट गई। आयुर्वेद की दवाओं के साथ-साथ नियमित व्यायाम और जीवन शैली में बदलाव भी आवश्यक है तभी रोगियों को शीघ्रता के साथ रोग से छुटकारा मिलता है। मधुमेह और ह्रदय रोगियों के लिए अपने खान-पान में नियंत्रण रखना बहुत जरूरी होता है।
आयुर्वेद की दवाओं के सेवन से जटिल रोगों से निजात
कार्यक्रम में डॉ. आशुतोष पाठक, डॉ.वीके मिश्रा और डॉ. आशीष पांडेय, ओमप्रकाश प्रजापति ने रोग निवारण के संदर्भ में रोगियों से चर्चा की और समुचित आहार-विहार के बारे में विस्तृत जानकारी दी। रोगियों ने भी अपने अनुभव शेयर किए कि कैसे उन्होंने खान-पान में नियंत्रण रखकर आयुर्वेद की दवाओं के सेवन से जटिल रोगों से निजात पाई।