लखनऊ| आधुनिक युग में योग की अत्यधिक आवश्यकता है क्योंकि मानव जीवन दुःख, तनाव व रोग से परिपूर्ण है मोटापा, अनिंद्रा ,कब्ज, चिंता, हाइपरटेंशन ,तथा स्वास्थ संबंधी रोग प्रमुख रूप से जीवन शैली से संबंधित बीमारियां हैं| इनमें अस्थमा सांस संबंधी एक प्रमुख बीमारी है भारत में लगभग तीन करोड़ लोग समाज से पीड़ित हैं और उनमें लगभग तीस प्रतिशत लोग ही इनहेलर का प्रयोग करते हैं शेष लोग अस्थमा के कारण कस्टमर जीवन व्यतीत करते हैं |
देश में 40 प्रतिशत लोगों में अस्थमा
हमारे देश में 40 प्रतिशत लोगों में अस्थमा अनियंत्रित व साठ प्रतिशत लोगों में आंशिक रूप से नियंत्रित हैं इन रोगियो में इनहेलर चिकित्सा के अतिरिक्त अन्य सह चिकित्सा की आवश्यकता प्रतीत होती है केजीएमयू वह लखनऊ विश्वविद्यालय के तत्वाधान में युवकों अस्थमा पर एक शोध कार्य किया गया जिसमें अस्थमा के मरीजों को दो वर्गों में बांटा गया प्रथम वर्ष में 121 मरीज और दूसरे वर्ग में 120 मरीजों को शामिल किया गया| छह माह तक योग वर्क के मरीजों को योगासन प्राणायम ध्यान कराया गया रोगियों को मुख्य रूप से ताड़ासन, पर्वतासन, अर्धमत्स्येंद्रासन ,गोमुखासन ,शलभासन, धनुरासन ,नौकासन श्वसन कराया गया| जिसमें प्रत्येक कोशिका उर्जा से भर जाती है|
आत्मविश्वास में होती है वृद्धि
इसमें प्रसन्नता शांति उत्साह का संचार भी बढ़ जाता है| व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है| स्वास्थ्य बेहतर होता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है | इस शोध से यह निष्कर्ष सामने आया कि यदि प्रतिदिन 30 मिनट योग किया जाए तो अस्थमा के मरीजों के जीवन स्तर में सुधार आता है एंटीऑक्सीडेंट का स्तर शरीर में बढ़ जाता है फेफड़ों की बन्द श्वास की नालियां खुलती हैं , और कार्य क्षमता में वृद्धि होती है ,अस्थमा के लक्षणों में सुधार आने के साथ इन्हेलर की मात्रा में भी कमी आती है व्यक्ति सुचारु रुप से अपना कार्य कर सकता है| वह योग को चिकित्सा के रूप में इनहेलर किस्सा के साथ-साथ उपयोग में लाया जा सकता है|