
गोरखपुर निवासी २० वर्षीय शम्भा देवी पांच वर्ष पूर्व पारिवारिक कलह के कारण जल गई थीं। जिसके बाद वह परिवार को छोड़ कर गोरखपुर स्थित मठ के महन्त के पास गई और अपनी परेशानी को बताया महन्त ने उन्हें इलाज की मदद देते हुए राजधानी के बलरामपुर अस्पताल भेज दिया। बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन ने बताया कि युवति जब इलाज के लिए अस्पताल में आई तो वह बिल्कुल अकेली थी और उसके साथ परिवार का भी कोई नहीं था। उसे इलाज के लिए एसएसबी ब्लाक के वार्ड न. २०७ के बेड न.५ पर भर्ती किया गया। साथ ही उसके खाने-पीने के साथ ही कपड़ों की भी व्यवस्थ अस्पताल प्रशासन द्वारा की गई। उसके बाद अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन व डॉ. अतुल मेहरोत्रा ने मिलकर बीते १६ मार्च को उसकी कांट्रेक्चर रिलिज विद रोटेशन ऑफ लैप करके उसकी गर्दन और कंधे को सीधा किया गया। डॉ. लोचन ने बताया कि सर्जरी के तीन दिन बाद प्लास्टिक सर्जरी करके पैर की खाल को गले में लगाया गया और सात दिन बाद जब उसकी ड्रेसिंग खोली गई तो उसकी गर्दन और कंधा पूरी तरह ठीक हो चुका था, पहली सर्जरी में ही उसकी आंख को भी ठीक करने की कोशिश की गई थी। डॉ. राजीव ने बताया कि इस सर्जरी में उपयोग होने वाला सारा सामान व सभी दवाएं अस्पताल द्वारा ही उपलब्ध करायी गई। साथ ही सर्जरी के बाद मरीज को लगाई गई खाल की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए एक एनजीओ स्प्रेड स्माईल के माध्यम से प्रेशर गारमेंट भी उपलब्ध कराया गया। डॉ. लोचन का कहना है कि मरीज की हालत में सुधार हो रहा है, हो सकता है भविष्य में उसे करैक्टिव सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ेे।
ये रही टीम
डा.पीयूष, इंर्टन डा.शिशिर, सिस्टर विनीता और प्रतीक्षा