लखनऊ। केजीएमयू के सीवीटीएस विभाग में मरीजों की जान आफत में है। यहां पर ऑपरेशन के लिए गंभीर मरीजों को महीनों भटकना पड़ रहा है। लेकिन विभागाध्यक्ष मरीजों के भटकने को विभाग पर मरीजों का भारी दबाव बता रहे हैं। सीतापुर निवासी अनूप यादव (22)(परिवर्तित नाम) गंभीर दिल की बीमारी से ग्रसित है।
ओटी खाली न होने के कारण सर्जरी एक महीने के लिए टाल दी
अनूप का इलाज केजीएमयू के सीवीटीएस विभाग में चल रहा है। यहां पर डाक्टरों ने सर्जरी करने को कहा है। लेकिन मौजूदा समय में ओटी खाली न होने के कारण सर्जरी एक महीने के लिए टाल दी गयी है। नतीजा मरीज की हालत दिन प्रति दिन गंभीर होती जा रही है। मरीज जब इस समस्या को लेकर विभागाध्यक्ष के पास गया तो उन्होंने विभाग पर पहले से मरीजों का भारी दबाव बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया। अनूप तो बानगी मात्र हैं। गोण्डा निवासी सुमन भी गंभीर हालत में सीवीटीएस विभाग आयी थीं,इनके डाक्टर सर्जरी को भी तैयार थे,लेकिन उनको भी नियमों का हवाला देकर सर्जरी के लिए विभागाध्यक्ष ने मना कर दिया। विभागाध्यक्ष मरीजों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय खुद ही सवाल खड़ा करने लगते हैं। जबकि हालात इसके उलट है। विभागाध्यक्ष के रवैये के चलते ही गंभीर मरीजों को सर्जरी के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है।
पांच दिन की ओटी के बजाय सप्ताह में तीन दिन की ही ओटी
केजीएमयू के सीवीटीएस विभाग में चिकित्सकों की दो यूनिट है। सामान्य दिनों में पांच दिन ओटी चलती है। मौजूदा समय में केजीएमयू में गर्मी की छुट्टीयां चल रही है। सभी विभागों के कुछ चिकित्सक छुट्टी पर हैं। सीवीटीएस विभाग में भी कुछ चिकित्सक छुट्टी पर है। इसके अलावा इस समय पांच दिन की ओटी के बजाय सप्ताह में तीन दिन की ही ओटी हो रही है। इसी दौरान विभाग के दोनों यूनिट के चिकित्सकों को अपने-अपने मरीजों की सर्जरी करनी होती है। लेकिन सप्ताह के तीनों दिन विभागाध्यक्ष की ही ओटी चलती है,वह ही अपने मरीजों की सर्जरी करते हैं। जबकि दूसरे यूनिट के चिकित्सकों की ओटी वाले दिन ओपीडी होती है।
एक चिकित्सक को ओपीडी और सर्जरी दोनों
इसके अलावा दूसरे यूनिट के कुछ चिकित्सक गर्मी की छुट्टी पर चल रहे हैं। एक चिकित्सक को ओपीडी और सर्जरी दोनों करनी होती है। लिहाजा मरीजों को देखने के साथ ही सर्जरी करने में समस्या आ रही है। वहीं विभागाध्यक्ष ने मौखिक आदेश दे रखा है । जिसकों भी सर्जरी करनी हो वह इन्ही दिनों में मरीजों की सर्जरी कर सकते हैं। वहीं सूत्रों की माने तो वर्जस्व की लड़ाई में मरीजों का अहित हो रहा है। जब इस बारे में विभागाध्यक्ष से बात की गयी। तो उनके जवाब देने का अंदाज निराला था। उन्होंने सवाल के बदले जवाब देते हुए कहा कि यदि अखबार में ज्यादा खबरे हो जायें तो क्या पन्ने के बाहर छापेंगे। इतना ही नहीं एम्स व पीजीआई का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वहां पर तो पांच व तीन साल की वेटिंग चल रही है। वहां पर यह सवाल नहीं पूछा जाता। http://www.kanvkanv.com