प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ की राज्य कार्यकारिणी की बैठक, विभागीय प्रोन्नति न होने और एसीपी सहित १७ लंबित मांगों पर हुई चर्चा

डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के सभागार में आयोजित राज्य कार्यकारिणी की बैठक में अध्यक्ष डॉ. अशोक यादव, महामंत्री डॉ. अमित सिंह, उपाध्यक्ष मुख्यालय डॉ. आशुतोष दुबे ने कहा कि ३० मई २०१७ को सेवानिवृत्ति आयु को ६० से बढ़ाकर ६२ वर्ष किया गया था। ये भी प्रावधान था कि चिकित्सक ६० या ६२ वर्ष जब भी चाहे सेवानिवृत्त हो सकता था। जिसे एक महीने बाद ही खत्मकर दिया गया था। इस प्रावधान को अविलंब वापस लागू किया जाए। चिकित्सकों ने कहा कि उप्र की स्वास्थ्य नीति के निर्धारण में चिकित्सा स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे विभिन्न सेवा संवर्गों के संघों को शामिल किया जाए। जिससे पारदर्शी, व्यावहारिक और तकनीकी रूप से समर्थ स्वास्थ्य नीति प्रदेश को मिल सके। चिकित्सालयों में डॉक्टरों की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी भूतपूर्व सैनिक कल्याण निगम को सौंपने, विभागीय प्रोन्नति न होने के कारण निदेशक, अपर निदेशक के तीन चौथाई पद दो साल से रिक्त होने, सेवानिवृत्त सदस्यों और दंत संवर्ग को विशिष्टï एसीपी का लाभ न मिलने, तदर्थ नियुक्त चिकित्साधिकारी से संबंधित सेवा लाभ का प्रकरण अंतिम रूप से निस्तारित करने पर भी रोष व्यक्त किया गया। विशेष सचिव नीरज शुक्ला की मौजूदगी कहा गया कि दंत संवर्ग का बुरा हाल है। निदेशक, अपर निदेशक और संयुक्त निदेशक के १०० फीसदी पद रिक्त पड़े हैं। चिकित्सा स्वास्थ्य संवर्ग की तरह सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर ६० से ६२ वर्ष नहीं की गई है। इस पर मुख्य अतिथि विशेष सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य नीरज शुक्ला ने आश्वासन दिया कि चिकित्सकों की मांगे जायज है। सभी मांगों को सरकार पूरा करने का प्रयास कर रही है। स्पष्ट स्थानांतरण नीति शासन का प्रयास होगा। विशेषज्ञ एवं अतिविशेषज्ञ चिकित्सकों को कार्य करने में बाधा नहीं आने दी जाएगी। इस मौके पर विशिष्टï अतिथि डॉ. पद्माकर सिंह, उपाध्यक्ष मुख्यालय डॉ. आशुतोष दुबे, उपाध्यक्ष महिला डॉ. निरुपमा सिंह आदि भी मौजूद थे।
ये हैं अन्य मांगें
सभी १८ राजकीय मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों ४०० सीटों पर पीजी डिप्लोमा शुरू हो
राजस्थान सरकार की तर्ज पर २४ महीनों के विशेषज्ञ प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएं
तदर्थ चिकित्सकों को सेवा संबंधी परिणामी लाभ दिए जाएं
स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति के लंबित आवेदनों पर कार्रवाई हो
प्रैक्टिस बंदी वेतन/भत्ता मूल वेतन का ३५ फीसदी एक जनवरी २०१६ से दिया जाए
विश्ेाषज्ञ चिकित्सकों को विशेषज्ञता के आधार पर कार्य दिया जाए
संविदा चिकित्सकों की जगह लोक सेवा आयोग से चिकित्सकों का चयन हो
पीपीपी मोड पर सेवाएं देने की जगह सरकारी सेवा को दुरुस्त किया जाए