लखनऊ। आईएमए भवन में विश्व जनसंख्या दिवस पर बुधवार को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मौजूद आईएमए अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि 11 जुलाई 1987 को विश्व की जनसंख्या 5 अरब हो गए थी और इसी दिन विश्व जनसंख्या दिवस घोषित किया गया।
बढ़ती जनसंख्या ढेर सारी अन्य समस्याओं जैसे, आवास की समस्या, भोजन की समस्या, पानी की समस्या, प्रदूषण की समस्या, बेरोजगारी की समस्या, सफाई की समस्या तथा स्वस्थ्य संबंधी समस्याओं आदि को पैदा करती हैं। डॉ. सूर्यकांत ने प्रदेश सरकार को अपनी प्रदेश स्वस्थ्य निति बनाने के लिए बधाई दी तथा आईएमए द्वारा एक प्रस्ताव पारित कराया कि इस प्रदेश की स्वास्थ्य निति में जनसंख्या नियंत्रण के लिए भी प्रभावी कदम उठाएं जाएं। सभा में उपस्थित आईएमए के चिकित्सकों ने इसका हाथ उठाकर पूरा समर्थन दिया। डॉ. सूर्यकांत ने नारा दिया कि व्यक्तियों की जनसंख्या कम हो, पेड़ों की जनसंख्या ज्यादा हो।
लड़कों और लड़कियों को जानकारी देना चाहिए
संगोष्ठी में केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूती रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. सुजाता देव ने कहा कि किशोरावस्था के दौरान ही सभी लड़कों और लड़कियों को जनसंख्या नियंत्रण के बारे में जानकारी देना चाहिए और पढ़ाना चाहिए जिससे आने वाली जिन्दगी में वो अपनी इस जानकारी का सही प्रयोग कर पाएं। केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूती रोग विभाग की पूर्व प्रोफेसर डॉ. मंजू शुक्ल ने कहा कि जमीनी स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरुकता अभियान एवं कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता है तभी अच्छे परिणाम मिल सकेंगे। कार्यक्रम में मौजूद डॉ. शिखा ने कहा कि निजी संस्थानों की भागीदारी प्राथमिकता से करने की जरूरत है तभी जनसंख्या नियंत्रण में मुकाम हासिल किये जा सकेंगे। उन्होंने कहा की आयुष्मान भारत एवं हौसिला भागीदारी जैसी सभी सरकारी कार्यक्रम भी निजी संस्थानों के सहयोग के बिना उचित परिणाम नहीं दे सकेंगे।
डॉ. ने यह भी कहा
केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूती रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. शिप्रा ने कहा कि मेनोपौज (यानि मासिक धर्म बंद) होने तक सभी महिलाओं को परिवार नियोजन के तरीके अपनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि महज उम्र का बढ़ जाना, गर्भवती होने के खतरे को कम नही करता, इससे बचने के लिए मेनोपौज तक सभी परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाते रहने चाहिए।
शिक्षा से ही सफलता
स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ डॉ. वारिजा सेठ ने कहा कि परिवार नियोजन में पुरुषों की भी भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा से ही केवल सफलता पायी जा सकती है और परिवार नियोजन में पुरुषों की शिक्षा भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि 75 प्रतिशत नसबंदी केवल महिलाओं की ही की जाती हैं जबकि पुरुषों की केवल 0.62 प्रतिशत। डॉ. वारिजा के मुताबिक सभी चिकित्सा संस्थानों को अधिक से अधिक मात्रा में पुरुषों को परिवार नियोजन के विषय में शिक्षित कर पुरुषों की भी भागीदारी बढाने की जरूरत है।
परिवार नियोजन को बढ़ावा देने ऐसा होना चाहिए
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रख्यात स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. चन्द्रावती ने कहा कि उन्होंने परिवार नियोजन में बहुत काम किया है और उनके मुताबिक बच्चों के जन्म होने पर मिलने वाले सरकारी सहयोग राशि केवल पहले 2 बच्चों तक निर्धारित कर देना चाहिए ताकि परिवार नियोजन को बढ़ावा मिल सके।
शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किये जाने चाहिए
कार्यक्रम में मौजूद केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूती रोग विभाग की पूर्व प्रोफेसर डॉ. हेम प्रभा गुप्ता ने कहा कि अधिक से अधिक मात्रा में सभी विभागों के चिकित्सकों द्वारा परिवार नियोजन के लिए शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किये जाने चाहिए और परिवार नियोजन की अकेले जिम्मेदारी केवल स्त्री रोग विशेषज्ञों की नहीं होना चाहिए।
ये थे मौजूद
कार्यक्रम में आईएमए लखनऊ की पूर्व अध्यक्ष डॉ. पीके गुप्ता द्वारा बच्चे कम पेड़ ज्यादा का नारा दिया गया। कार्यक्रम में आईएमए उत्तर प्रदेश के प्रेसिडेंट एलेक्ट डॉ. एए खान, आईएमए लखनऊ के सचिव डॉ. जेडी रावत, आईएमए लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पीके गुप्ता, व डॉ. आरसी सिंह, डॉ. सुमित सेठ, मेयो मेडिकल कॉलेज के चिकित्साध्यक्ष डॉ. आरबी सिंह, डॉ. नईम व डॉ. प्रांजल अग्रवाल आदि मौजूद थे।
70 लोगों की हुई जांच
इस मौके पर डॉ. राकेश सिंह द्वारा आईएमए भवन में हेल्थ कैंप का आयोजन भी किया गया। इसमें लगभग 70 लोगों ने हेल्थ चेकअप कराया एवं उन्हें परिवार नियोजन के ऊपर जानकारी भी दी गयी आईएमए द्वारा सामजिक सरोकार कार्यक्रम के लिए सीतापुर रोड पर वृक्षारोपण भी किया गया। कार्यक्रम के अंत में आईएमए लखनऊ के सचिव डॉ. जेडी रावत ने कार्यक्रम में मौजूद सभी चिकित्सकों, मेडिकल छात्रों, जनता के प्रतिनिधियों एवं लोगों को धन्यवाद संदेश प्रेषित किया।