रायपुर। स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में सुधार कार्यों के चलते छत्तीसगढ़ का कोण्डागांव जिला देश में पहला स्थान हासिल किया है। वहीं ओवरऑल रैंकिंग में देशभर के आकांक्षी जिलों में कोंडागांव दूसरे नंबर पर है। यह स्थान नीति आयोग द्वारा देशभर के आकांक्षी जिलों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए गए बेहतर सुधार के फलस्वरूप इन जिलों के माह नवम्बर एवं दिसम्बर 2018 के प्रदर्शन के आधार पर प्रदान किया गया है।
नीति आयोग ने 49 विभिन्न सूचकांकों के आधार पर आकांक्षी जिलों की रैंकिंग तय की है। इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, कृषि, जल संसाधन, भौतिक संरचना, वित्तीय समावेशन तथा स्किल डेवलपमेंट जैसे अन्य बिन्दु शामिल रहे है। 6 मार्च को नई दिल्ली के सिविल सेवा अधिकारी संस्थान में आयोजित एक कार्यशाला में कोंडागांव कलेक्टर नीलकंठ टीकाम को इस उपलब्धि के लिए पुरस्कृत किया गया है। नीलकंठ टेकाम को यह पुरस्कार नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत के हाथों प्राप्त हुआ। साथ ही आयोग ने कोण्डागांव जिले को पांच करोड़ की राशि पुरस्कार स्वरुप प्रदान की।
छत्तीसगढ़ के 10 जिले चयनित है
उल्लेखनीय है कि, भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा देशभर के अत्यंत पिछड़े 115 जिलों का तेजी से विकास करने के लिए आकांक्षी जिलों के रुप में चयन किया गया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ के 10 जिले चयनित है। इन जिलों में केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगो को पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और सिंचाई, बैंकिंग सुविधा कौशल विकास और अधोसंरचना विकास करके उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए लक्ष्य रखा गया है। नीति आयोग द्वारा जारी डेल्टा रैंकिंग में बस्तर संभाग के जिला कोण्डागांव ने अखिल भारतीय स्तर पर स्वास्थ्य एवं पोषण के क्षेत्र में किए गए सुधार के फलस्वरुप दूसरा स्थान अर्जित किया है।
कुपोषित बच्चो की संख्या 6000 के आसपास
जिले में गंभीर कुपोषित बच्चो की संख्या 6000 के आसपास है। इसका प्रमुख कारण उचित मात्रा में सही खानपान उपलब्ध ना होना है। इसके लिए जिले के सभी सीएचसी सेन्टर में 10 बेड वाले अस्पताल भी चलाये जा रहे है। आरएनटी अस्पताल में प्रारंभ किये गये पोषण पुर्नवास केन्द्र में 15-15 दिवस के अन्तराल में 100-100 बच्चे उपचारित किये गए। हर माह 200 बच्चों को पौष्टिक आहार एवं अन्य चिकित्सकीय सुविधाएं दी गई। इस तरह बच्चो को गंभीर कुपोषित बच्चो को मध्यम अथवा सामान्य श्रेणी में लाया गया। इस सेन्टर में बच्चे के मां के रहने के भी सुविधा के साथ ही उन्हे बच्चो को सुपोषित रखने संबंधित प्रशिक्षण भी दिये गए।