लखनऊ। केजीएमयू में बुधवार को डॉक्टरों द्वारा कर्मचारियों से मारपीट का मामला बढ़ गया है। डॉक्टरों पर कार्रवाई न होने से नाराज कर्मचारी गुरुवार सुबह ब्लड कलेक्शन लैब को नहीं खोला और वहां ताला लगा दिया। इससे वहां जांच कराने आए मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा।भारी मात्रा में कलेक्शन सेंटर पैथालॉजी में मरीजों का जमावड़ा लगा रहा।
उधर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विकास सिंह व महामंत्री गंगवार ने बताया कि कोई कार्रवाई नहीं हुई है इसलिए इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर 10:00 बजे से पूरे मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी हड़ताल पर चले जाएंगे। इसमें आवश्यक सेवाओं को शामिल नहीं किया गया है। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई तो इमरजेंसी कार्य भी प्रभावित होंगे। सूत्रों की मानें तो केजीएमयू के सेल्वी हाल में रेजिडेंट डॉक्टरों से कुलपति की बातचीत जारी है।
यह था मामला
मंगलवार को कैश काउंटर पर एमबीबीएस के द्वितीय वर्ष का छात्र रशीद लेने आया हुआ था। इसी दरम्यिान कैशियर पंकज मौर्या को किसी बात को लेकर छात्र ने गाली दे दी थी। इसे घटना से नाराज छात्र ने आज यह हंगामा किया।
इसके बाद बुधवार सुबह करीब 11:बजे 50 से 60 डॉक्टर (जूनियर और सीनियर) अचानक आ धमके और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। इसके बाद इंजार्च जिआउद्दीन को गालियां देते हुए कॉलर पकड़ लिया। वहीं लैब एसिस्टेंड किरन से बदसलूकी करते हुए उसका हाथ पकड़ लिया जिससे उनके हाथों की चूडिय़ां तक टूट गई। महिला को चोट भी आई है साथ ही उनका मोबाइल फोन भी टूट गया है। बताया गया है कि करीब एक घंटे तक सभी कर्मचारियों को बंधक बना गया था। इस बीच कोई भी अधिकारी सुध लेने नहीं आया था।
मरीजों से किया था ऐसा व्यवहार
बताया गया है कि कमरे का दरवाजा बंद करने के पहले जो भी मरीज अंदर थे उन्हें जबरन धक्का देकर कमरे से बाहर कर दिया गया। हद तो तब हो गई जब ब्लड निकलवा रहे एक मरीज की निडिल निकालकर उन्हें भी जबरन बाहर कर दिया गया। ऐसे ही कई मरीजों को बाहर कर दिया गया।
घटना के बाद आक्रोषित कर्मचारी एकजुट हो गए। कर्मचारियों ने कार्रवाई की मांग की। आरोपी छात्रों पर कार्रवाई के लिए चिविवि प्रशासन को शाम 4 बजे तक का समय दिया गया लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। कर्मचारियों ने सीएमएस प्रो. एसएन शंखवार, प्रॉक्टर प्रो. आरएएस कुशवाहा से कार्रवाई की मांग की लेकिन उन्होंने बताया कि कुलपति के आदेश पर घटना की जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी मामले की जांच कर रिपोर्ट देगी उसके बाद ही कार्रवाई हो सकेगी। इस पर कर्मचारियों ने साफ किया उन्हें कमेटी की जांच पर भरोसा नहीं।