लखनऊ। केजीएमयू प्रशासन तथा एजेंसियों की शिकायत श्रमायुक्त से करने के बाद केजीएमयू प्रशासन ने जल्द ही श्रम कानूनों के पालन के लिए एजेंसी को नोटिस जारी कर दिया है। सभी कर्मचारियों को माह में 26 दिन ड्यूटी लिए जाना तथा बोनस दिए जाने, न्यूनतम वेतन, अधिनियम के तहत वेतन दिए जाने का आदेश जारी कर दिया गया है। पिछले 5 वर्षों से यह सभी एजेंसियां कार्य कर रही है तथा इपीएफ में घोटाला, अवकाश के पैसे में घोटाला, अभी तक ईएसआई कार्ड ने बनाया जाना आदि मामले में करोड़ों रुपए का पता नहीं है।
ब्लैक लिस्टेड नहीं की एजेंसी
पिछले वर्ष इपीएफ कमिश्नर कानपुर ने जांच की थी। सभी एजेंसियों ने कहा था कि जो भी ईपीएफ की राशि हमारे ऊपर बकाया निकलेगा हम लोग उसको जमा करेंगे फिर भी ना तो किसी एजेंसी द्वारा भुगतान किया गया और ना ही प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई हुई। इस मामले में केजीएमयू के अध्यक्ष रितेश मल्ल ने उच्च न्यायालय में मुकदमा पंजीकृत करवाया है जिसमें सभी एजेंसियों ने हलफनामा दिया कि जो भी न्यायालय का फैसला होगा और जो भी राशि हम लोगों के ऊपर बकाया निकलेगा उसको जमा किया जाएगा फिर भी एक एजेंसी केजीएमयू में ब्लैक लिस्टेड नहीं की गई। इस प्रकार केजीएमयू के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन कटौती के करोड़ों रुपए घोटाले में कहीं ना कहीं केजीएमयू प्रशासन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।