लखनऊ। केजीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में प्रथम वर्ष के जूनियर डॉक्टर रैगिंग द्वारा पीडि़त होने के कारण मेडिकल छात्रों ने 4 जून को एंटी रैगिंग सेल एंड एंटी रेशिअल एब्यूज हेल्पलाइन, नम्बर के माध्यम से दिल्ली में रैगिंग और उत्पीडऩ की शिकायत की है। इस पर शिकायत में मेडिकल छात्रों को कहा गया कि आपको नॉन स्टाप ड्यूटी कराई जा रही है। यहां तक कि अस्पताल छोडऩे की भी इजाजत नहीं दी जा रही है।
कॉलेज प्रशासन से मांगा था जवाब
इस पर एंटी रैगिंग सेल एंड एंटी रेशिअल एब्यूज हेल्पलाइन ने 4 जून को ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन से इस मामले में जवाब मांगा था। इस पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन को शिकायत का जो ब्यौरा भेजा गया उसमें स्टूडेंट का नाम और विभाग नहीं बताया गया। तुरंत एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक की गई। बैठक में विचार किया किया और बाद में कहा गया कि इस तरह का कोई भी छात्रों पर उत्पीडऩ किसी भी विभागाध्यक्ष की जानकारी में नहीं है।
एंटी रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट देखी
मेडिकल कॉलेज के सभी विभागों में इन्टर्नर स्टूडेन्ट को या सभी जूूनियर डॉक्टरों से मेडिकल शासन के द्वारा ही शिक्षण-प्रशिक्षण संबंधी ही कार्य लिया जाता है। साथ ही इस रैगिंग के मामले में गई है। सेल इसका फैसला लेते हुए समिति ने कहा है कि वह उचित कार्रवाई लेने से पहले कॉलेज की जिम्मेदारी चाहते हैं। यदि अगर कोई भी स्टूडेंट पर्सनल तौर पर इस तरह की हरकत कर रहा है तो यह रैगिंग की श्रेणी में आएगा।
यह भी बताया
जूनियर मेडिकल छात्रों को शिकायत में कहा कि तीन घंटे से ज्यादा सोने नहीं दिया जा रहा। खाना खाने की भी इजाजत नहीं है, जिसमे वह काफी डरे सहमे हैं इस पर वह खाना भी छिप-छिप कर खा रहे हैं। सीनियरों की प्रताडऩा अधिक बढ़ती जा रही हैं जिस पर जूनियर डॉक्टरों को उन्हें सीनियरों द्वारा बंधक बनाकर उन्हें मरीजों के वार्ड और ड्यूटी रूम में मुर्गा बना रहे हैं। इस कारण मेडिकल जूनियर स्टूडेंटों की हालत बहुत खराब है। यह देख स्टूडेंटों ने पढ़ाई छोडऩे का फैसला भी ले लिया है।