लखनऊ। राम मनोहर लोहिया के डॉक्टरों ने एक 30 साल की महिला को नया जीवन दिया है। डॉक्टरों ने महिला को वेंटीलेटर पर रखकर इलाज शुरू किया था। कई दिन बाद डॉक्टरों की मेहनत आखिकार रंग लाई। सेहत में सुधार को देखते हुए परिजन ने भी राहत की सांस ली।
यह हुआ था
इंदिरा नगर निवासी एक महिला (30 वर्ष) ने अज्ञात कारणों से से फांसी पर पर झूल गई। वह काफी देर तक दुपंट्टे के फंदे से लटकी रही। उसकी बहन ने ऐसा देखा तो एसके होश उड़ गए। आनन-फानन उसे एंबुलेंस से राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय लेकर आया गया। यहां के डॉक्टरों ने महिला को वेंटीलेटर पर रखकर इलाज शुरू किया।
यह थी समस्या
यहां पर डॉक्टरों ने देखा कि महिला के ब्रेन को खून और ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो चुकी है। हाथ-पैर समेत अन्य अंगों में भी हरकत नहीं हो रही थी। उसका बीपी असामान्य स्तर तक नीचे चले जाने से महिला कोमा में चली गई थी। आरएमएल के निदेशक डॉ. देवेन्द्र नेगी ने बताया कि महिला मरणासन्न स्थिति में थी। उन्होंने बताया कि तीन दिन बाद महिला ने आंखें खोलने की कोशिश शुरू की। चौथे दिन एक जुलाई को हाथ-पैर में हरकत आनी शुरू हुई।
मरीज है स्वस्थ
डॉक्टर ने बताया कि उसकी आवाज नहीं आ सकी थी। ऐसे में डॉक्टरों ने फिर मरीज के गर्दन की एमआरआइ कराकर देखा तो पता चला कि गर्दन के पास रीढ़ की हड्डी में आंशिक फ्रैक्चर है और सांस की नली में दाईं ओर काफी सूजन है। इस वजह से वह बोल नहीं पा रही थी। इसके बाद महिला को हाई क्वालिटी ड्रग्स दिए गएए जिससे सांस की नली में सूजन व संक्रमण का असर कम हुआ। अब मरीज अपने आप खड़ी हो रही है तथा बोल भी रही है।
ये है टीम
मरीज के उपचार में जिन चिकित्सकों एवं स्टाफ की भूमिका महत्वपूर्ण रही उनमें एनेस्थेटिस्ट निदेशक डॉ. डीएस नेगी, फिजीशियन डॉ. अविनाश चंद्र श्रीवास्तव, वेंटीलेटर की टीम के डॉ. डीके त्रिपाठी, डॉ भास्कर प्रसाद, डॉ जेपी तिवारी, डॉ. बीबी भट्ट, डॉ एसके सिंह, डॉ संगुफ्ता अंसारी, डॉ. जैकी गर्ग, डॉ. छाया, डॉ. अमृता स्टाफ नर्स विनीता मिश्रा एवं श्रद्धा शुक्ला शामिल रहीं। http://www.kanvkanv.com