लखनऊ। नवजात शिशुओं को जन्म से 6 माह तक आयरन तत्वों के स्तर में सुधार करने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत सरकार ने एनीमिया का समाधान करने के लिए रणनीति बनायी है। इसके तहत अब सरकारी अस्पतालों में गर्भनाल को देरी से काटने के लिए 3 मिनट (या कॉर्ड पल्सेशन बंद होने तक) बढ़ावा दिया जायेगा। बता दें कि लौह तत्व या आयरन की कमी से ही एनीमिया (खून की कमी) होता है।
ऐसा किया जाना चाहिए
क्वीन मैरी अस्पताल, केजीएमयू की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा सचान ने बताया कि बड़ी संख्या में महिलाएं एनीमिक हैं, खासतौर पर गर्भवती महिलाएं जिनमें सही समय पर एनीमिया का पता न चलने पर वो अपनी जान भी गंवा सकती हैं। उन्होंने कहा कि अगर मां का ग्रुप रेसस (आरएच) नेगेटिव है या बच्चा समय से पहले जन्मा है तो गर्भनाल तुरंत काट दी जानी चाहिए बाकी परिस्थितियों में गर्भनाल को देरी से ही काटना चाहिए।
इस टैबलेट से बढ़ाएं एचबी की मात्रा
उन्होंने सुझाव दिया कि फेरस एस्कॉर्बेट टैबलेट का उपयोग किया जाना चाहिए। यह टैबलेट वर्तमान में वितरित किए जा रहे हैं। एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन सी) की वजह से आयरन तीन गुना ज्यादा खून में अब्जॉर्ब होता हैं जिसके कारण खून में एचबी की मात्रा बढ़ जाती हैं। पोषण अभियान के लक्ष्यों के तहत एनीमिया मुक्त के लिए ऐसी रणनीति बनाई गई है कि बच्चों, प्रजनन आयु वर्ग (15-49 वर्ष) के किशोरों और महिलाओं में एनीमिया के प्रसार को कम करने के लिए 2018 से 2022 के बीच प्रति वर्ष 3 प्रतिशत अंक को कम किया जायेगा।
दुष्प्रभाव भी हैं
एनीमिया न केवल प्रतिरक्षण क्षमता और मनुष्य की कार्य करने की क्षमता को कम करता है, बल्कि बच्चों के संज्ञानात्मक विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अगर गर्भवती महिलाएं एनीमिक हैं तो उन्हें प्रसव उपरान्त रक्तस्राव, तंत्रिका नली दोष, कम वजन का बच्चा, समयपूर्व जन्म और मातृ मृत्यु जैसे जोखिमों का खतरा रहता हैं। एनीमिया अपने सबसे गंभीर रूप में होने पर मौत का कारण भी बन सकता है।