लखनऊ। अब हीमोफीलिया से पीडि़त मरीजों की पहचान की जाएगी और इसके साथ ही उनका इलाज भी किया जाएगा। यह जन जागरुकता ला रही है हीमोफीलिया फेडरेशन (इंडिया) की शाखा हीमोफीलिया सोसायटी। सोसायटी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के नागरिकों से रक्त स्राव से जुड़ी जानलेवा बीमारी हीमोफीलिया के बारे में जन जागरुकता लाने की अपील की। अगर उत्तर प्रदेश की बात की जाए इस दुर्लभ बीमारी की जानकारी बहुत कम है और यहां ज्यादातर चिकित्सा केंद्रों में हीमोफीलिया की जांच के लिए पर्याप्त सुविधा भी नहीं है।
2,650 मरीजों की पहचान
उत्तर प्रदेश में अब तक हीमोफीलिया के केवल 2,650 मरीजों की पहचान हुई है, जो कि राज्य के कुल अनुमानित हीमोफीलिया के मरीजों की संख्या के महज 15 प्रतिशत के बराबर है। इस समय उत्तर प्रदेश में 26 चिकित्सा केंद्रों में उच्च गुणवत्ता वाली फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी की सुविधा उपलब्ध है। जन जागरुकता के जरिये ज्यादा से ज्यादा हीमोफीलिया के मरीजों तक फैक्टर रिप्लेसमेंट, मॉनिटरिंग और फिजियोथेरेपी की पहुंच होगी और वे बेहतर व दर्दमुक्त जीवन जी सकेंगे।
यहां है जांच की सुविधा
लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजी विभाग में हीमोफीलिया की जांच की सुविधा है, वहीं संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआईएमएस) के हेमेटोलॉजी विभाग में इसकी सुविधा उपलब्ध है। लखनऊ के बाहर लोग बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में भी इस जांच सुविधा का प्रयोग कर सकते हैं। वल्र्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के मुताबिक, हर 10,000 में से 1 व्यक्ति हीमोफीलिया के साथ जन्म लेता है। इसलिए अनुमानित तौर पर भारत में करीब एक लाख लोग हीमोफीलिया के शिकार हैं।
दर्दमुक्त जीवन जी सकते हैं
हीमोफीलिया सोसायटी (लखनऊ) के सचिव विनय मनचंदा के अनुसार, हम हीमोफीलिया के मरीजों और उनके परिजनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और उपचार मुहैया करा रहे हैं। फैक्टर रिप्लेसमेंट, बेहतर मॉनिटरिंग और अच्छी फीजियोथेरेपी के जरिये हीमोफीलिया के सभी मरीज अच्छी और दर्दमुक्त जीवन जी सकते हैं। लोगों को रक्त से जुड़ी इस अनियमितता के बारे में बताना जरूरी है ताकि अगर चोट के बाद जोड़ों में सूजन या ज्यादा रक्तस्राव जैसे लक्षण दिखें तो परिजन तत्काल जांच करानी चाहिए।
सरकार से अपील
विनय मनचंदा ने कहा कि इस जानलेवा बीमारी से लडऩे के लिए हीमोफीलिया के बारे में जागरूक होना जस्री है। इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों में उपचार का उपलब्ध होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि राज्य के दूरदराज के इलाकों में हीमोफीलिया के उपचार के लिए और भी केंद्र खोले जाएं जिससे ज्यादा से ज्यादा मरीजों तक तत्काल जांच और उपचार की सुविधा पहुंचाई जा सके।