लखनऊ। गोमती नगर के एक निजी होटल में सोमवार को फाउंडेशन इंटरनेशनल इंप्लांट और केजीएमयू की ओर कार्टिकल इंप्लांटोलॉजी वर्कशाप का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप में देश-विदेश के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इसका उद्धाटन मंत्री संदीप सिंह और केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने किया।
केजीएमयू डेंटल विभाग के ओरल एंड मैक्सीलोफेसियल सर्जरी के डॉ. यूएस पाल ने बताया कि केजीएमयू प्रशासन उम्मीद की किरण) थीम के तहत सस्ता इंप्लांट खरीदने के लिए तकनीकी विश्वविद्यालयों के साथ करार करने पर जोर दे रही है। इससे उन लोगों को फायदा होगा जो मुंह के कैंसर की वजह से अपना जबड़ा और दांत गंवा चुके हैं। उनके लिए अब कैंसर कार्ड पर ही मरीजों का निशुल्क दांत लगाए जाएंगे।
यह भी बताया डॉक्टर पाल ने
वर्कशॉप में डॉ. यूएस पाल ने बताया कि 80 फीसदी मरीज जो मुंह के कैंसर की गिरफ्त में होते हैं उनके दांत और जबड़े निकालने पड़ते हैं। अब उन्हें परेशानी नहीं होगी। इस इस नए नियम से ऐसे लोगों को राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि आज के दौर में जैसा लोगों का खान-पान है, ऐसे में यह बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं। दांतों का कनेक्शन हड्डियों से होने की वजह से असर पड़ रहा है।
ऐसा जरूर करें
प्रॉस्थोडांटिक्स विभाग के लक्ष्य कुमार ने कहा कि मरीज ने यदि दांत निकलवाया है या उसका दांत गिर गया है तो उसे दांत जरूर लगवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्हि एक दांत निकल जाए तो 26 समस्याएं खड़ी होती हैं। जिसमें जबड़ा बैठने, अन्य दांतों के घिसने, खाना फंसने, अगल-बगल के दांतों में कीड़े पडऩे और पायरिया या यह भी हो सकता है कि मुंह भी ना खुल रहा हो।
इसे ना करें नजरअंदाज
प्रॉस्थोडांटिक्स विभाग डॉ. मयंक सिंह ने बताया कि मायोफेशियल पेन में जबड़ा भारी होना, जबड़े से चटकने की आवाज आना, मांसपेशी सख्त होना, दांतों का घिसना और दर्द होना इसके मुख्य लक्षण हैं। इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इससे निजात पाने के लिए ही हार्ड स्पिलिट डिवाइस बनाई है। इसको थे। हार्ड स्पिलिट पतली होती है और इसे मुंह की साइज को नापकर बनाया जाता है। मात्र पांच-छह सौ रुपए ही खर्च में यह तीन साल तक चलती है।