लखनऊ। दुनिया के 27 प्रतिशत टीबी से ग्रसित लोग भारत में हैं और उत्तर प्रदेश में टीबी मरीजों की संख्या 18 प्रतिशत है। टीबी का इलाज पूरा ना करने से यह समस्या आगे चलकर और बढ़ जाती है और इस पर नियंत्रण करने में समस्या हो जाती है। हमारे देश में लगभग 1 लाख लोग एमडीआर टीबी से पीडि़त हैं।
टीबी नोडल ऑफिसर्स की एमडीआर टीबी प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन
उक्त बातें उप्र क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के स्टेट टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. सूर्यकान्त ने कही। इससे पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को 2025 तक टीबी मुक्त करने की घोषणा की है। इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के टीबी नोडल ऑफिसर्स की एमडीआर टीबी प्रशिक्षण कार्यशाला (19-21 जुलाई) का समापन हुआ।
मेडिकल कॉलेजों से 60 चिकित्सकों ने लिया भाग
कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से 60 चिकित्सकों ने भाग लिया। डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि एमडीआर टीबी के प्रशिक्षण कार्यक्रम में नेशनल ट्यूबरकुलोसिस इंस्टीट्यूट, बैंगलौर के डॉ प्रहलाद कुमार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टीबी एण्ड रेस्पिरेटरी डिसिसेज के डॉ. रूपक सिंघला को प्रशिक्षण के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। कार्यशाला में राज्य क्षय नियंत्रण अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता, उप्र के राज्य क्षय नियंत्रण उपअधिकारी डॉ. ऋषि सक्सेना, स्टेट ट्रेनिंग एण्ड डिमोन्स्ट्रेशन सेन्टर, आगरा के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र भटनागर तथा नेशनल टास्क फोर्स के वाइस चेयरमैन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे।
प्रशिक्षणार्थियों को दी जानकारी
कार्यक्रम की जानकारी देते हुये डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला में एमडीआर टीबी के कारण, निदान, उपचार, तथा बचाव के बारे में प्रशिक्षणार्थियों को जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के कंसल्टेंट ने भी टीबी नोटिफिकेशन तथा नि:क्षय की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि टीबी रोगियों की पोषण भत्ता योजना, जिसमें की हर टीबी के रोगी को 500 रुपए प्रतिमाह पोषण भत्ता दिया जायेगा।