घर-घर आशा चिन्हित करेंगी मरीज, खिलाएंगी दवा, 5 माह से 5 साल तक के बच्चों को खिलाई जाएगी दवा
लखनऊ। दस्त नियंत्रण से होने वाली मृत्यु की रोकथाम के लिए प्रदेश के सभी जिलों में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चलाया जाएगा। यह पखवाड़ा कार्यक्रम 27 जुलाई से 9 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान ओआरएस और जिंक की गोलियां भी बांटी जायेंगी। पखवाड़े से पहले पर्याप्त मात्रा में ओआरएस एवं जिंक कर्नर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। प्रदेश में साल 2018-19 में आयोजित किए जा रहे सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े की जीरो चाइल्डहुड डेथ ड्यू टू डायरिया थीम रखी गई है।
छोटे बच्चों के घरों में ओआऱएस बांटा जाएगा
एसीएमओ डॉ. एमके सिंह ने बताया कि डायरिया से होने वाली शिशु मृत्यु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से प्रदेश भर में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाता है। इसके अलावा यह भी बताया कि इस पखवाड़े के दौरान जागरुकता के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाओं पर डायरिया के केस का उपचार, ओआरएस-जिंक केन्द्रों की स्थापना व पांच साल से छोटे बच्चों के घरों में ओआऱएस बांटा जाएगा। साफ-सफाई की जागरुकता लाना इस पखवाड़े अभिन्न अंग है। इसके लिए आशा आपने क्षेत्रों के सभी पांच वर्ष के छोटे बच्चों के अभिभावकों को डायरिया की रोकथाम की जानकारी घर-घर जाकर देंगी व सभी प्राथमिक तथा अन्य शिक्षा संस्थानों में हाथ धोने के तरीके को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
जानें क्या होता है डायरिया
बालरोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान बताते हैं कि लगातार पतले मोशन और उल्टी होना दस्त या डायरिया कहलाता है। डायरिया वायरल व वैक्टीरियल संक्रमण के कारण तो होता ही है परंतु सबसे सामान्य कारण है प्रदूषित पानी, खान-पान में गड़बड़ी और आंत में संक्रमण। डायरिया में शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसे डीहाईड्रेशन कहते हैं। इससे शरीर में कमजोरी आ जाती है और अगर समय पर इलाज न मिले तो पीडि़त की मृत्यु भी हो सकती है। डायरिया के ये लक्षण अगर किसी बच्चे में दिखाई दें तो उसे तत्काल स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाना चाहिए।
ऐसा होता है
पानी जैसा लगातार मल का होना।
बार बार उल्टी होना।
अत्यधिक प्यास का लगना।
पानी न पी पाना।
बुखार हो।
मल में खून आ रहा हो।
ओआरएस जिंक कॉर्नर स्थापित होगें
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि जिंक की गोलियां 2 माह से 6 माह तक के बच्चों को आधी गोली और 7 माह से 5 साल तक के बच्चों पूरी गोली 14 दिन तक खिलानी होगी। मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय, ब्लॉक स्वास्थ्य केंद्रों, शहरी स्वास्थ्य ईकाई, होम्योपैथिक, यूनानी व आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्रों, आंगनबाड़ी केन्द्रों और चिन्हित चिकित्सा ईकाई, निजी चिकित्सालयों के यहां इंडियन अकैडमी ऑफ पिड्रियाटिक व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का सहयोग लेते हुए ओआरएस जिंक कॉर्नर स्थापित किए जाएंगे। शहरी क्षेत्रों में मोबाइल टीमें गठित की जाएंगी। घुमंतू परिवार व अन्य असेविक समाज के बच्चों को ओआरएस के उपयोग के प्रति बढ़ावा देने के लिए ओआरएस कॉर्नर की स्थापना की जाएगी। बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मुख्य लक्ष्य है।
यह जानकारी आपके लिए
डॉ. सिंह ने इसके अलावा बताया कि बच्चों में डायरिया का प्रकोप कई प्रदेशों में पांच वर्ष तक के बच्चों में होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण रहा है। प्रदेश में 5 वर्ष से कम आयु के 10 से 12 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु दस्त के कारण होती है, जबकि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 15 लाख बच्चों की मृत्यु का कारण दस्त बना है, अत: दस्त रोग मृत्यु के प्रमुख कारणों में दूसरे स्थान पर है।