लखनऊ। प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से जुड़े सभी संवर्गों के पदाधिकारियों के साथ रविवार को बलरामपुर चिकित्सालय में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री अतुल मिश्रा की अध्यक्षता में बैठक संपन्न हुई। इसमें फार्मासिस्ट, ऑप्टोमेट्रिस्ट, लैब टेक्नीशियन व बीएचडब्लू की वेतन विसंगति दूर करने के लिए शासन व सरकार से मांग की गई।
ये थे मौजूद
बैठक में डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष उपेंद्र सिंह, राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव व महामंत्री अशोक कुमार, लैब टेक्नीशियन के अध्यक्ष सुरेश रावत, ऑप्टोमेट्रिस्ट संघ के अध्यक्ष सर्वेश पाटिल, बीएचडब्ल्यू संघ के अध्यक्ष धनन्जय तिवारी, एक्सरे टेक्नीशियन संघ मंत्री आरकेपी सिंह, डेंटल हाइजेनिस्ट संघ के डीडी त्रिपाठी आदि उपस्थित थे। अतुल मिश्रा ने बताया कि फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन व आप्टोमेट्रिस्ट संवर्ग की वेतन विसंगति के संबंध में राज्य वेतन समिति की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को लगभग 2 वर्ष पूर्व दी जा चुकी है परंतु अभी तक उस पर निर्णय कर शासनादेश निर्गत ना किए जाने से कर्मचारियों का मनोबल कमजोर हो रहा है एवं आर्थिक नुकसान हो रहा है।
विसंगति दूर करना जरूरी
धनंजय तिवारी ने बताया कि 23 जुलाई 1981 को सभी यूनीपरपज वर्कर को मल्टीपरपज वर्कर बना दिया गया। पदनाम व कार्य की समानता एक कर दी गई लेकिन वेतन 2011 से पूर्व की कार्मिकों को 2800 ग्रेड पे उसके बाद के कार्मिकों को ग्रेड पे 2000 जा रहा है, एक ही पद के 2 वेतनमान एवं 2 पदों का एक वेतनमान है, अत: स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष व महिला की उक्त वेतन विसंगति दूर की जानी आवश्यक है।
उच्च पदों पर पदोन्नति
परिषद के प्रमुख उपाध्यक्ष एवं फार्मासिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि वेतन विसंगति के अतिरिक्त उच्च पदों का सृजन सहित सभी संवर्गों के पदों के पुनर्गठन के सम्बन्ध में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में 8 अक्टूबर 2018 व 12 फरवरी 2019 को निर्णय लिया गया था। समय सीमा तय होने के बावजूद मांगों पर कार्रवाई ना होने से कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त हो रहा है। विभिन्न संवर्गों के उच्च पदों पर पदोन्नतियां नहीं हो पा रही हैं, मूल पद रिक्त पड़े हुए हैं, जिन पर नियुक्तियां ना होने से जनता को उचित स्वास्थ्य सुविधाएं देने में परेशानियां हो रही हैं।
सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन
विभागों में पुनर्गठन ना होने से उच्च पदों का सृजन नहीं हो रहा है। विभागों में मानक के आधार पर पद सृजित नहीं है, विभाग में फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, एक्सरे टेक्नीशियन सहित अनेक पद मानक के अनुरूप नहीं हैं। जो पद सृजित हैं उन पर भी नियुक्तियां नहीं हो रही है। पदों पर स्थाई नियुक्तियों की जगह संविदा और आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्य को लिया जाना जनहित में नहीं है। संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मियों का भी भविष्य अंधकार मय है। इसलिए चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सभी कर्मचारी परिषद द्वारा घोषित आंदोलन में सहभागिता करते हुए 21 नवंबर को सभी जिलों में मशाल जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।