बलरामपुर। गरीबी की मार से इलाज के अभाव में आंख की रोशनी खो चुके संतोष को आयुष्मान भारत का साथ मिला तो जीवन में रोशनी आ गई।
आंख से दिखना बंद हो गया
जिले के तुलसीपुर नगर के पुरानी बाजार निवासी संतोष गुप्ता पुत्र राम लखन पेशे से इलेक्ट्रिक मैकेनिक है। संतोष लोगों के घरों में जाकर बिजली के फॉल्ट, खराब उपकरण सही कर परिवार का पालन-पोषण कर रहा था। उम्र बढऩे के साथ ही साथ बीमारियां भी बढऩे लगी। आंख समय से पहले धोखा दे गई। आंख से दिखना बंद हो गया।
खांसते रहने से एक आंख के परदे फट गए
48 वर्षीय संतोष ने बताया कि उसकी आंख में समस्या थी, लेकिन रुपये के अभाव में दवा नहीं करा पा रहा था। उसे अस्थमा की बीमारी भी थी। इसी बीच खांसी आने लगी। एक दिन अचानक आंखों से दिखना बंद हो गया। उसके सामने अंधेरा छा गया। घर में एक मात्र वही परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाला था। उसके दो छोटे बच्चे हैं। उसका रोजगार भी बंद हो गया। अपने बच्चों को लेकर अपने ससुराल आ गया। इलाज के लिए कुछ रुपये इक_ा कर ससुराल के सहयोग से भैरहवा आंख अस्पताल गया। यहां पर जांच के उपरांत बताया गया कि लगातार खांसते रहने से एक आंख के परदे फट गए।
आयुष्मान कार्ड बना
दूसरे आंख की पुतली नीचे है। ऑपरेशन से सही होगा। इसका खर्चा दो लाख रुपये बताया गया। इलाज का खर्चा जानकर मनमसोस कर वहां से वापस लौट आया। भाग्य को कोसते हुए ससुराल में ही रहता था। एक दिन मोहल्ले पुरानी बाजार के ही आयुष्मान मित्र अर्षदेव आर्य ने उसका राशन कार्ड नम्बर मांगा। राशन कार्ड का प्रतिलिपि भेजने पर मालूम चला उसका नाम आयुष्मान भारत में है। आयुष्मान मित्र ने उसे आयुष्मान कार्ड बना कर दे दिया।
दूसरे आंख का कुछ दिन बाद
कार्ड मिलने पर उसके बारे में रिश्तेदारों के सहयोग से मालूम करने पर जानकारी हुई कि गोमतीनगर लखनऊ के प्रकाश आई हास्पिटल में परदे का ऑपरेशन होता है। आयुष्मान कार्ड से इलाज भी किया जाता है। एक सप्ताह पूर्व वहां जाकर इलाज कराया है। एक आंख का आपरेशन अभी हुआ है। दूसरे आंख का कुछ दिनों बाद होगा। अब उसे कुछ दिखाई देने लगा है। डॉक्टरों ने बताया है कि धीरे-धीरे रोशनी बढ़ जाएगी। आयुष्मान से उसके अंधेरे जीवन में रोशनी आ गई।