महानिदेशक आयुर्वेद ने की गोरखपुर-बस्ती मंडल की समीक्षा, मातहतों से तलब किया खर्चे का ब्योरा
गोरखपुर। चिकित्सकों की कमी के संकट से जूझ रहे आयुर्वेद अस्पतालों के दिन बहुरने वाले हैं। विभाग में जल्द ही 1114 डॉक्टरों की तैनाती होगी। इन पदों पर चयन की प्रक्रिया के अधिकांश चरण पूरे हो चुके हैं। इसके बाद से हर अस्पताल में कम से कम एक डॉक्टर अनिवार्य रूप से तैनात रहेगा।
करीब 55 फीसदी पद रिक्त
आयुर्वेद विभाग के महानिदेशक डा. एसएन सिंह ने बताया कि विभाग इस समय चिकित्सकों की भारी कमी के संकट से जूझ रहा है। विभाग में सृजित पदों के सापेक्ष करीब 55 फीसदी पद रिक्त हैं। सूबे में 2104 आयुर्वेद अस्पताल हैं। इनमें 1110 अस्पतालों में एक भी डॉक्टर तैनात नहीं है। ऐसे में मरीजों का सही से इलाज नहीं हो पा रहा है। उहोंने बताया कि लोक सेवा आयोग के जरिए 1114 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया की जा रही है। यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जल्द ही चरणवार परिणाम घोषित होंगे। जिसके बाद डॉक्टरों की तैनाती उन अस्पतालों में की जाएगी जो बंद चल रहे हैं।
बैठक में नहीं दे पाए खर्च का ब्योरा
विशेष सचिव आरएन वाजपेयी और आयुर्वेद विभाग के महानिदेशक ने गोरखपुर और बस्ती मंडल के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में उन्होंने खर्चों का हिसाब नहीं देने के कारण मातहतों के पेंच कसें। उन्होंने बताया कि इस वर्ष राष्ट्रीय आयुष मिशन द्वारा प्रदेश को 124 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है। इसका बड़ा हिस्सा आयुर्वेद को मिलेगा।
अब तक सिर्फ 30 फीसदी ही खर्च का ब्योरा
सूबे को अब तक केन्द्र सरकार से करीब 70 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। इसमें से 48 करोड़ रुपए सिर्फ आयुर्वेद विभाग को मिला हैं। इस रकम के खर्च का ब्योरा नहीं मिल रहा है। अब तक सिर्फ 30 फीसदी ही खर्च का ब्योरा मिला है। इस वजह से केन्द्र सरकार अगली किश्त नहीं दे रही है। उन्होंने एक पखवारे में खर्च का पूरा ब्योरा तलब किया। बैठक में गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, बस्ती, संतकबीरनगर और सिद्धार्थनगर के अधिकारी मौजूद रहे।