लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सोमवार को गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में टीबी उन्मूलन के लिए ज्वॉइंट एफट्र्स फॉर एलीमिनेशन ऑफ टीबी ‘जीत प्रोजेक्ट’ का शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि यह सही है कि क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में प्रगति हो रही है, पिछली साल की अपेक्षा इस साल ज्यादा लोगों को चिन्हित किया गया है लेकिन 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए कार्य की गति को और ज्यादा बढ़ाना होगा।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से आप लोगों ने जेई और एईएस पर नियंत्रण रखने में सफलता पायी है, उसी प्रकार से इसे चुनौती मानते हुए टीबी के लिए भी कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह मुश्किल काम नहीं हैं, बस मजबूत इच्छा शक्ति के साथ एक लक्ष्य निर्धारित करके जुट जाना है।
बजट की चिंता न करें
सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि टीबी के सफाये के लिए प्रधानमंत्री की दी गयी डेडलाइन 2025 के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए और तेजी से कार्य करने की जरूरत है, उन्होंने टीबी नियंत्रण कार्यक्रम की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए लक्ष्य के अनुरूप और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि आप बजट की चिंता न करें, लक्ष्य को पाने की तरफ ध्यान दें, बजट जितना चाहिये होगा, हम आपको केंद्र से लेकर देंगे।
भारत के 20 प्रतिशत मरीज उत्तर प्रदेश में
उन्होंने जीत कार्यक्रम की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम के साथ जुड़े समस्त कर्मचारियों, अधिकारियों, चिकित्सकों के अच्छे कार्य की सराहना भी की। उन्होंने बताया कि भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। विश्व के कुल टीबी रोगियों का लगभग 25 प्रतिशत रोगी भारत में है। भारत के 20 प्रतिशत मरीज उत्तर प्रदेश में है। सार्वजनिक क्षेत्र वर्तमान में अनुमानत: मात्र 50 प्रतिशत टीबी के मरीजों का इलाज कर रहा हैं, शेष 50 प्रतिशत निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के यहां उपचार प्राप्त कर रहे हैं।
60 जिलों में कार्य कर रहा जीत प्रोजेक्ट
भारत सरकार के निर्देशानुसार ‘जीतÓ कार्यक्रम का उद्देश्य पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के सहयोग से निजी क्षेत्र के चिकित्सकों को कार्यक्रम में उपलब्ध सेवाओं गुणवत्तापूर्वक जांच एवं उपचार सेवाओं की पहुंच को प्रत्येक जनमानस तक उपलब्ध कराना है। पाथ प्रोजेक्ट के कन्ट्री हेड नीरज जैन ने बताया कि जीत प्रोजेक्ट 60 जिलों में कार्य कर रहा है। जीत प्रोजेक्ट का उद्देश्य पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम अन्र्तगत प्रयोग होने वाले लाजिस्टिक, औषधियों व प्राइवेट सेक्टर के चिकित्सकों को पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में संदिग्ध क्षय रोगियो को चिन्हित करके समस्त सेवा प्रदान करता है। जीत कार्यक्रम का लक्ष्य टीबी उन्मूलन के कार्यक्रम को सहयोग करना है।
3,27,998 टीबी केस चिन्हित किये
राज्य क्षय नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी डा. संतोष गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में स्थापित एवं क्रियाशील 141 सीबीएनएएटी मशीन द्वारा प्रत्येक माह लगभग 30,000 क्षय रोगियों की नि:शुल्क जांच की जा रही है। माह अप्रैल 2018 से सितम्बर 2018 के मध्य सीबीएनएएटी जांच में 41 प्रतिशत की वृद्धि पायी गयी है। जनवरी 2018 से प्रदेश में लगभग 3,27,998 टीबी केस चिन्हित किये गये है जिसमें लगभग 87,809 निजी क्षेत्र में चिन्हित किये गये हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 में प्रदेश के समस्त जनपदों में एक्टिव केस फाइडिंग कैम्पेन के द्वारा लगभग 14000 टीबी के मरीज खोजे गये और जिनका उपचार कराया जा रहा है। डॉ. भारती द्वारा जीत प्रोजेक्ट की संरचना एवं कार्य प्रणाली पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गयी।
ये मौजूद थे
कार्यक्रम में सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, वी हेकाली झिमोमी, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, पंकज कुमार, महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. पदमाकर सिंह, निदेशक (प्रशासन), चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. पूजा पाण्डेय, निदेशक राष्ट्रीय कार्यक्रम, डॉ. ईयू सिद्दीकी, चेयरमैन स्टेट टास्क फोर्स (क्षय नियंत्रण) उत्तर प्रदेश डॉ. सूर्यकांत सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।