लखनऊ। मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कक्ष में बुधवार को प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इसमें कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर डीके बाजपेई, संयुक्त निदेशक संचारी रोग डॉक्टर विकासेन्दु अग्रवाल तथा उप मुख्य अधिकारी प्रभारी वेक्टर बार्न डिसीज डॉक्टर केपी त्रिपाठी ने पत्रकारों को संबोधित किया।
दो टीमों ने किया क्षेत्र का दौरा
डॉ. विकासेन्दु अग्रवाल ने बताया कि लखनऊ में कल जो एक मृत्यु आशुतोष ग्राम कंचनपुर मटियारी चिनहट में हुई थी उसके संबंध में आज दो टीमों ने क्षेत्र का दौरा किया एक टीम एपिडेमियोलॉजीकल परीक्षण के लिए डॉक्टर प्रिया, डॉ. राजा भैया, डॉक्टर केपी त्रिपाठी, डॉक्टर एसके रावत के नेतृत्व में गई जबकि दूसरी टीम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक व अन्य चिकित्सा कर्मी शामिल थे।
घरों में क्लोरीन की गोलियां, ओआरएस पैकेट वितरित
डॉक्टर के पी त्रिपाठी ने बताया कि चिनहट के शहीद भगत सिंह वार्ड के में प्रत्येक घर की निरोधात्मक कार्रवाई के लिए जांच की गई। 150 मकानों की जांच में 105 कूलर पाए गए जिनकी जांच की गई। वार्ड में एंटी लार्वा का छिड़काव कराया जाएगा। चिनहट की टीम ने रोगी के अगल-बगल के सभी घरों में क्लोरीन की गोलियां, ओआरएस पैकेट भी वितरित किए। मृतक के घर के पास एक तालाब था जिसमें जलकुंभी पाई गई। इसके लिए नगर निगम को लिखा जाएगा कि यहां पर सोर्स रिडक्शन की कार्रवाई करें। निरोधात्मक कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। इसके लिए नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पटेल नगर की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया गया है।
मृत्यु दर में कमी
डॉक्टर विकासेन्दु ने बताया कि अप्रैल से स्वास्थ्य विभाग ने नौ अन्य विभागों के साथ मिलकर एईएस के विषय में कार्य किया है तथा दस्तक अभियान के अंतर्गत पूर्वी उत्तर प्रदेश के 7 जिलों के प्रत्येक जिले में घर-घर जाकर इसके बारे में बताया है। इसी कारण केसों की रिपोर्टिंग बढ़ी है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष उत्तर प्रदेश में अधिक केस रिपोर्ट हुए हैं। पिछले वर्ष 5 जून तक जहां केसों की संख्या केवल 360 थी। साल 2018 में यह संख्या 978 है लेकिन मृत्यु दर में आधे से ज्यादा की कमी हुई है। पिछले वर्ष जहां मृत्यु दर 16.9 फीसदी थी, वह इस वर्ष यह केवल 8.8 फीसदी है। लखनऊ जनपद में अब तक 104 केस हो चुके हैं लेकिन केवल एक ही व्यक्ति की मृत्यु हुई है। इस प्रकार मृत्यु दर प्रतिशत 1 फीसदी से भी कम है।
इसमें भी आई कमी
जनसंपर्क अभियान तथा जागरुकता पैदा करने का दूसरा पॉजिटिव प्रभाव यह हुआ है कि पिछले वर्ष जहां 47 फीसदी केस बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में भर्ती होते थे तथा 53 फीसदी अन्य अस्पतालों, जिला चिकित्सालय में भर्ती होते थे लेकिन इस वर्ष केवल 17 फीसदी केस बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में भर्ती हुए हैं जबकि 83 फीसदी अन्य जनपदों के जिला चिकित्सालय तथा अन्य जिला स्तरीय चिकित्सालय में भर्ती हुए हैं।
स्क्रब टायफस के 1.1 फीसदी केस आए
यह भी बताया गया कि पिछले साल स्कर्ब टाइफस के 47 फीसदी केस थे लेकिन आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार इस वर्ष डॉक्सीसाइक्लिन तथा एरिथ्रोमाइसिन शुरू की गई। इससे केवल 1.1 फीसदी स्क्रब टायफस के केस सामने आए हैं। डॉक्टर विकासेन्दु ने बताया कि केसेज में वृद्धि का कारण यह है कि अब इसमें काफी रोगों को शामिल किया जा रहा है। पहले इसमें केवल जैपनीज इंसेफ्लाइटिस वायरस हर्पीस सिंपलेक्स वायरस वेरी सिला जोस्टर वायरस को ही शामिल किया जाता था लेकिन अब इसमें विभिन्न प्रकार के बैक्टीरियल इन्फेक्शन जैसे न्यूमोकोकल, मेनिंगोकोकल, हीमोफिलस इन्फ्लूएंजा बी, मिजिल्स, मम्स, पोलियो, एंटेरोवायरस, कोक्सेकी वायरस, वेस्ट नाइल वायरस, डेंगू इन सभी बीमारियों को इसके अंतर्गत शामिल किया गया है। एक्यूट एनसेफिलाइटिस सिंड्रोम के अंतर्गत लिया जा रहा है। कोई भी बीमारी जिसमें तेज बुखार हो तथा मस्तिष्क में भ्रम की स्थिति हो, उन सभी को इसके अंतर्गत रखा जाता है। इसमें टाइफाइड को भी शामिल किया है। उन्होंने आगे बताया कि 15 जुलाई से प्रदेश में दस्तक अभियान फिर से शुरू किया जा रहा है।