लखनऊ। खाने-पीने के सामान में मिलावटखोरों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। सिर्फ दूध में ही नहीं अन्य सामानों में भी मिलावट किया जा रहा है। मिलावटी सामान ने कई लोगों को बीमार किया है। अब आटे में भी मिलावट होने लगी है। आटे को सफेद बनाने के लिये मिलावटखोरों ने तरह-तरह की युक्तियां खोज निकाली हैं। इसके सेवन बहुत हानिकारक है।
आटा ऐसे होता है सफेद
गेहूं के आटे को ज्यादा सफेद बनाने के लिये उसमें सस्ता और घटिया चावल का चूरा मिलाया जा रहा है। इससे आटे में सफेदी ज्यादा आ जाती है। कीमत भी अच्छी मिलती है। आटे की मात्रा बढ़ाने के लिए खड़िया या चाक के पाउडर की मिलावट भी हो रही है। राजधानी लखनऊ में एक व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मुनाफा कमाने के चक्कर में आटे में भी मिलावट शुरू हो गई है। मिलावट वाले आटे को ग्रामीण से लेकर उपनगरीय इलाकों में बेचा जा रहा है। सफेदी अच्छी होने की वजह से इस आटे को खुले में सामान्य के मुकाबले ज्यादा ऊंचे दाम पर बेचा जाता है। वहीं इस मिलावट पर एफएसडीए के एक अधिकारी ने बताया कि समय-समय पर कार्रवाई कर मिलावटखोरों की धड़पकड़ होती रहती है। इन दिनों मिलावटी आटे की शिकायतें भी आ रही हैं, जिनपर कार्रवाई की जा रही है।
चावल-दाल में भी मिलावट
चावल का वजन बढ़ाने के लिए ब्रांडेड आइटम में महीन सफेद पत्थर की मिलावट सामने आ रही है। गेहूं में भी पत्थर और मिट्टी मिलाई जाती है। गेहूं के आटे में सिंघाड़े का आटा मिलाया जाता है। दालों में पत्थर और मिट्टी मिलाई जाती है। दालों को पुराना दिखाने के लिए केमिकल रंगों का इस्तेमाल होता है। चाय पत्ती में इस्तेमाल की हुई पत्ती को रंगकर मिलाया जाता है। कॉफी में इमली के बीज का चूरा मिलाया जाता है। काली मिर्च में पपीते का बीज मिलाया जाता है।
सबसे ज्यादा दूध में मिलावट
दूध में सबसे ज्यादा पानी मिलाया जाता है। पानी के अलावा यूरिया, रिफाइंड ऑयल और सफेद रंग को मिलाकर भी नकली दूध (Milk Adulteration) भी बनाया जाता है। वहीं चीनी में चॉक और चूना मिलाया जाता है। घी में वनस्पति तेल और खुशबु के लिए एसेंस और रंग मिलाया जाता है।
मिलावट स्वास्थ्य के लिये खतरनाक
खाने-पीने के सामान में की जा रही मिलावट पर चिक्तसकों का कहना है कि यह स्वास्थ्य के लिये बेहद खतरनाक है। आटे में चॉक या दूसरे बाहरी पदार्थ का मिश्रण शरीर के रक्त से होता हुआ महत्वपूर्ण अंगों तक पहुंच जाता है। पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रोफेसर की मानें तो ऐसे मिलावटी पदार्थ महत्वपूर्ण अंगों में जमा होने लगते हैं। एक निश्चित मात्रा के बाद यह अंगों को खराब करने लगता है। साथ ही त्वचा और किडनी पर भी इसका असर पड़ता है।