लखनऊ। सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने में लगा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के लोग सरकार की मंशा पर पानी फेरने में कोई गुरेज नहीं कर रहे हैं। ताजा मामला डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान का है। पीडि़त कैंसर मरीज ने आरोप लगाया है कि उसके पास बीपीएल कार्ड होने के बावजूद संस्थान के डॉक्टरों ने निजी पैथालॉजी से उसकी 20 हजार रुपए की जांचें करवाई हैं। यही नहीं मरीज से दवा भी बाहर से ही मंगवाई गई है। आरोप लगाया गया है कि संस्थान के डॉक्टर और निजी पैथालॉजी के बीच कमीशन का खेल चल रहा है। मामले की जानकारी संस्थान के निदेशक डॉ. अनिल कुमार त्रिपाठी तक पहुंचने पर उन्होंने कहा कि जल्द ही जांच की जाएगी।
कार्ड दिखाया, बाहर से जांच कराने को कहा
कुशीनगर निवासी विभूति के बेटे दुर्गेश यादव (१९ वर्ष) को रीढ़ का कैंसर है। पिता विभूति की मानें तो शुक्रवार को बेटे को लेकर कैंसर विभाग की ओपीडी में पहुंचे थे। यहां डॉक्टरों ने मरीज को देखा। मरीज की कीमोथेरेपी होनी थी। लेकिन डॉक्टरों ने कीमोथेरेपी नहीं कराई। पीडि़त ने आरोप लगाया है कि बीपीएल कार्ड दिखाने के बावजूद डॉक्टरों ने बाहर से जांच कराने की बात कही थी।
20 हजार रुपये हुए खर्च
तीमारदारों का आरोप है कि बीपीएल कार्ड होने पर भी मरीज की जांचें बाहर से करवाई और दवा खरीदने को कहा गया। इसमें करीब 20 हजार रुपए खर्चा हो गया है। तीन दिन से तीमारदार दुर्गेश को लेकर संस्थान परिसर में ही इलाज के लिए भटक रहे हैं उन्हें नि:शुल्क इलाज नहीं मिल पा रहा है। तीमारदारों का आरोप है कि लोहिया संस्थान के डॉक्टर भी निजी पैथालॉजी और बाहर के मेडिकल स्टोर संचालकों से साठगांठ किए हुए हैं। जबकि गरीब मरीज को संस्थान से ही जांच, दवा और पूरा इलाज करना चाहिए।