लखनऊ। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खान-पान संयमित नहीं होने से धीरे-धीरे हमारी क्षमता और ऊर्जा में कमी आने लगती है। ऐसे में शरीर पर कई तरह के रोग हावी हो जाते हैं। कभी तो ये रोग सामयिक होते हैं जो मौसम में परिवर्तन के चलते होते हैं और सामान्य उपचार से ठीक हो जाते हैं। यह जानकारी यूनानी सेवाएं निदेशक डॉ. एमएस हयात सिद्दकी (एमडी) ने दी है।
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देते हैं
उन्होंने कहा कि यूनानी विधि में इसका सरल उपचार बताया गया है। यूनानी विधि के अनुसार शरीर में चार तरह के दोष पाए जाते हैं। इन्हें दम, बलगम, सफरा व सौदा कहते हैं। खासकर गर्मी में ये बीमारी हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देते हैं जिससे कई बीमारियां हो सकती हैं।
हमारे शरीर का सबसे बड़ा तंत्र त्वचा है। त्वचा हमारे शरीर के शोधन का भी सबसे बड़ा तंत्र है। इस तंत्र पर उगने वाले बालों से ही बाहरी वातावरण का तापमान शरीर के तापमान 37 डिग्री से. से कम व अधिक होने के बावजूद शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री से. ही बना रहता है।
ये होता है
गर्मी में अधिक तापमान होने पर शरीर के दूसरे तंत्र भी प्रभावित होते हैं। जैसे खांसी, जुखाम, त्वचा से संबंधित रोग, उल्टी, दस्त, बदहजमी, हैजा, पेशाब में जलन, लू लगना, नकसीर का फूटना, सिरदर्द और बुखार आदि मौसम के बदलने पर श्वसन तंत्र अधिक प्रभावित होता है।
ऐसे करें बचने के उपाए
उक्त समस्याओं से बचने के लिए सबसे पहले आप अपने दिनचर्या की शरुवात दो गिलास पानी पीकर करें। नहाने और पीने के लिए साफ पानी का ही प्रयोग करें। ताजा बना हुआ ही खाना खाएं। घर और बाहर सफाई का विशेष ध्यान दें। नियमित रूप से एक सप्ताह में नाखून और एक माह में बालों को जरूर कटवाएं। इस मौसम में तरल पदार्थों जैसे कि बेल का शर्बत, संतरा और मौसमी फलों का जूस व गन्ने के रस का सेवन करें। खट्टे व रसीले फलों का इस्तेमाल करें जैसे लीची, शहतूत, खरबूजा, तरबूज, आम आदि।
इस पर भी दें ध्यान
पानी वाली सब्जियों का अधिक सेवन करें जैसे तरोई, लौकी, कद्दू, खीरा, ककड़ी। खाने के साथ टमाटर या आम व पुदीना की चटनी का इस्तेमाल करें। रात में खाने के बाद दांतों की सफाई जरूर करें। सुबह दूध की जगह एक गिलास मट्ठा या छाछ पीयें। लेमन टी या ग्रीन टी पीयें। रोजाना योग या सुबह-सुबह टहलना ना भूलें। रोजाना शीतली प्रणायाम का अभ्यास करें। हर घंटे एक से दो गिलास पानी का सेवन जरूर करें। सफेद और भूरे रंग के कपड़े पहने। सिर को सफेद सूती कपड़े से ढककर बाहर निकलें। बाहर निकलते समय धूप का चश्मा लगाएं। खाली पेट न रहें। हल्का भोजन करें, सलाद में प्याज, हरी मिर्च, खीर, नींबू आदि लें। दिन ें एक बार जौं के सत्तू का घोल पीयें। हाथों को हमेशा साफ रखें।
ऐसा न करें
दिन में 11 से 4 बजे के बीच बाहर ना जाएं। तेल मसाले वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करें। दूध की चाय का इस्तेमाल न करें। बासी और बाहर के खाने से बचें। बीपी कम हो की दशा में नींबू पानी का इस्तेमाल न करें। दूसरों का तौलिया और रूमाल इस्तेमाल न करें। मांसाहार का सेवन न करें। स्मार्टफोन का इस्तेमाल न करें। गुस्सा न करें।
यूनानी उपचार
बदहजमी या पेट दर्द में अर्क अजीब (अमृत धारा) की 2-4 बूंद एक कप पानी में डालकर इस्तेमाल करें। अर्क अजीब (अमृत धारा) बनाने का तरीका यह है कि सत पुदीना, सत अजवाइन व सत कपूर को बराबर मात्रा में लेकर किसी कांच के बर्तन में लें। इस प्रकार बने हुए तरल पदार्थ को बूंदों के रूप में प्रयोग करें।
हाजमे के लिए – सौंफ, पुदीना, जीरा और धनिया बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। चार-चार ग्राम पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें।
उल्टी के लिए – एक गिलास ताजा पानी में दो चुटकी नमक, आधा नींबू का रस, एक चम्मच शक्कर व एक चम्मच सिरका मिलाकर जरूरत के समय लें।
उल्टी व दस्त की सूरत में जवारिश अनारैन या जवारिश आंवला सादा 6-7 ग्राम अर्क बादियान 40-50 मिली के साथ दिन में दो से तीन बार इस्तेमाल करें। अगर बुखार की शिकायत हो तो कुर्स तवासीर 1-2 गोली दिन में तीन बार इस्तेमाल करें। कमजोरी की हालत में जवारिश कमूनी या जवारिश मस्तगी 6-7 ग्राम दिन में दो लें।
लू लगने पर आम का पना प नींबू पानी का अधिक इस्तेमाल करें। दस्त के लिए बेल गिरी, जीरा और मरोडफ़ली को समान भाग में लेकर सफूफ बनाएं और तीन-तीन ग्राम सफूफ ताजे पानी से सुबह, दोपहर व शाम को लें।
नजला, खांसी, जुखाम के लिए – शर्बत उन्नाव व शर्बत बनफ्शा समान भाग में लेकर 20-20 मिली सुबह-शाम लें।
पैरों में जलन के लिए- खीरा व लौकी के छिलके से पैर के तलवों की मालिश करें।