लखनऊ। मलेरिया से निपटने के लिए प्रदेश के जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में अब फीवर हेल्प डेस्क बनाई जाएगी जो मलेरिया के मरीजों की पहचान करेगी। इस संबंध में बरेली और बदायूं में तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। साथ ही प्रदेश के अन्य जिलों में इसे शुरू करने की तैयारी चल रही है। यह कहना है राज्य मलेरिया अधिकारी डॉक्टर ए.के. यादव का।
डॉक्टर यादव ने बताया कि प्रदेश में मलेरिया की रोकथाम के लिए काफी तैयारियां चल रही हैं। बच्चों को मलेरिया से बचाने के लिए सरकारी स्कूलों में नोडल टीचर बनाए जाएंगे जो बच्चों को मच्छर से फैलने वाली बीमारी जैसे मलेरिया, फायलेरिया और ए.ई.एस. आदि बीमारी के बारे में जागरूक करेंगे। साथ ही बच्चों को बुखार आने पर तत्काल अभिभावकों को सूचित करेंगे। उन्होंने बताया कि वेक्टर जनित रोग की निगरानी के लिए आशा और एएनएम को प्रशिक्षित किया जा चुका है। साथ ही सभी आशा और एएनएम को खास तरह की किट दी गई है जिससे तुरंत मलेरिया की पहचान की जा सकेगी। डॉ. यादव ने बताया कि मलेरिया बीमारी पर नियंत्रण के लिए प्रदेशस्तर पर प्रशिक्षण शुरू किया जा रहा है जिसमें प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाएगा।
मलेरिया क्या है
मादा मच्छर एनाफिलीस के काटने से फैलने वाली मलेरिया जानलेवा बीमारी है। मलेरिया के कीटाणु दो तरह होते हैं एक तो प्लाज्मोडियम फ़ेल्सीपेरम (पीएफ़) जो कभी-कभी जानलेवा हो सकता है, वहीं दूसरा प्लाज्मोडियम वाईवेक्स (पीवी) यह सामान्य मलेरिया होता है। इन दोनों बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सही समय पर इलाज से ठीक हो जाता है। सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मलेरिया का निःशुल्क उपचार किया जाता है।
मलेरिया के लक्षण
• मांसपेशियों में दर्द और बुखार उतरते समय पसीना आना
• सिर में तेज दर्द होना और उल्टी होना या जी मचलना
• ठंड के साथ कंपकंपी होना फिर बाद सामान्य हो जाना
• कमजोरी और थकान महसूस होना
• शरीर में खून की कमी होना
यह भी जानें
भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक देश को मलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। जबकि श्रीलंका वर्ष 2016 में ही मलेरिया मुक्त देश हो चुका है। 2019 में मलेरिया की थीम “जीरो मलेरिया स्टार्ट विद मी” रखी गई है। https://healthehelp.in