लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सेक्स अनुपात में सुधार हुआ है। 2015-16 में प्रति हजार यह संख्या 902 थी, जो कि अब 2018-19 में बढ़कर प्रति हजार 918 हो गई है लेकिन अभी इसमें और सुधार की जरूरत है। उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में आयोजित एक दिवसीय पीसीपीएनडीटी एक्ट कार्यशाला में बोलते हुए स्टेट नोडल ऑफिसर पीसीपीएनडीटी डॉ. अजय घई ने कही।
65 से 70 फीसदी प्रसव रिकॉर्ड किए जाते हैं
उन्होंने कहा कि लिंगानुपात का पता हमें एचएमआईएस डाटा से लग पाता है, जिसमें लगभग 65 से 70 फीसदी प्रसव रिकॉर्ड किए जाते हैं। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि पिछले तीन-चार वर्षों में बालिकाओं की संख्या बढ़ी है। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2017 से उत्तर प्रदेश में मुखबिर योजना लागू की गई है जिसमें 9 डिकाय ऑपरेशन किए जा चुके हैं। पीसीपीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत कुल 245 केस हुए हैं जिसमें 57 केस का फैसला हो चुका है और 21 मामलों में सजा भी हुई है।
सीटी स्कैन एमआरआई सेंटर का रजिस्ट्रेशन भी जरूरी
उन्होंने सभी अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, नर्सिंग होम के स्वामियों को बताया कि जब भी कोई अल्ट्रासाउंड मशीन एक जगह से दूसरी जगह जाती है तो यह अनुमति से ही हो सकता है। सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर की तरह सीटी स्कैन एमआरआई सेंटर का रजिस्ट्रेशन भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब भी चिकित्सक अपने सेंटर का रजिस्ट्रेशन कराएं तब फार्म पूरा होना चाहिए। चेक लिस्ट से चेक कर लें कि सभी चीजें पूरी हैं। केवल सीएमओ ऑफिस में आवेदन पत्र रिसीव कराने से यह नहीं मानना चाहिए कि हमारा रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। अल्ट्रासाउंड सेंटर में टॉयलेट का होना जरूरी है।
पोर्टेबल मशीन रखने की अनुमति नही
उन्होंने बताया कि अब पोर्टेबल मशीन रखने की अनुमति नहीं है। पोर्टेबल मशीन केवल ऐसे मामलों में ही इस्तेमाल की जा सकती है जब नर्सिंग होम में मरीज भर्ती करने की सुविधा हो तथा कमरे में जाकर अल्ट्रासाउंड करने की आवश्यकता पड़ती हो अथवा मेडिकल मोबाइल यूनिट जिसमें ओपीडी, पैथोलॉजी लैब आदि की सुविधा दी जा रही हो, वहां पर पोर्टेबल मशीन का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन हैंडहेल्ड पोर्टेबल मशीन पूरी तरह से बैन है।
एक महीने पहले दी जाती है सूचना
लखनऊ के प्रसिद्ध अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ डॉक्टर पीके श्रीवास्तव ने पीसीपीएनडीटी एक्ट के लीगल प्वाइंट्स पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि अल्ट्रासाउंड का रजिस्ट्रेशन एक्सपायर होने से 1 सप्ताह पहले एप्लीकेशन दे देनी चाहिए। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा जनपदीय नोडल अधिकारी पीसीपीएनडीटी डॉ. राजेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि रजिस्ट्रेशन स्थान का होता है चिकित्सक अथवा मशीन का नहीं होता है। चिकित्सक एवं मशीन का केवल अंकन होता है। उन्होंने कहा कि हमारे कार्यालय से एक महीने पहले अल्ट्रासाउंड एक्सपायर होने की सूचना सभी को दी जा रही है। उन्होंने कहा कि जो जिस विधा का विशेषज्ञ है वह उसी का अल्ट्रासाउंड करेगा।
मूल प्रमाण पत्र ना होने पर हो सकती है कार्रवाई
डॉ. पीके श्रीवास्तव ने बताया कि कभी भी अपना मूल प्रमाण पत्र कार्यालय में जमा करके न जाएं। अपने सामने रजिस्ट्रेशन कराकर मूल प्रमाण पत्र लेकर ही जाएं, क्योंकि मंडलीय, राज्य स्तरीय या केंद्र से जब भी कोई टीम आती है तो वह बताकर नहीं आती और वह मूल प्रमाण पत्र ना मिलने पर कार्रवाई कर सकती है। उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड सेंटर की जांच पर मौके पर वही चिकित्सक मिलने चाहिए जिनका रजिस्ट्रेशन में नाम है।
ये खास बात
कार्यशाला के अंत में एक प्रश्न का जवाब देते हुए डॉ. पीके श्रीवास्तव ने बताया कि यदि आप उसी दिन दोबारा अल्ट्रासाउंड करते हैं तब भी पूरी फॉर्मेलिटी करनी होगी। मरीज की आईडी लेनी जरूरी होगी। मरीज की आईडी आधार कार्ड होना वांछित है लेकिन आधार कार्ड न होने पर वोटर आई कार्ड, बैंक पासबुक की फोटो कॉपी तथा पैन कार्ड आदि मान्य है।
जेनेटिक्स के बारे में जानकारी दी
इससे पूर्व कार्यशाला का प्रारंभ करते हुए संजय गांधी पीजीआई में मेडिकल जेनेटिक्स की विभागाध्यक्ष डॉ. शुभा फड़के ने जेनेटिक्स के बारे में चिकित्सकों को जानकारी दी। लखनऊ के प्रसिद्ध रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अतुल अग्रवाल ने पीसीपीएनडीटी एक्ट के नए प्रावधानों के बारे में जानकारी दी।
ये थे मौजूद
कार्यशाला का उद्घाटन अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर डीके वाजपेई ने किया। कार्यशाला में सामाजिक कार्यकर्ता एवं पीसीपीएनडीटी जिला सलाहकार समिति की सदस्य राजलक्ष्मी कक्कड़ का उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमाशंकर तथा जनपद लखनऊ के 70 से अधिक अल्ट्रासाउंड केंद्रों के स्वामियों, अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट तथा रेडियोलॉजिस्ट ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत मेंडा एसके सक्सेना ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद दिया।