लखनऊ। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ उप्र का एक प्रतिनिधि मण्डल गुरुवार को प्रमुख सचिव कार्मिक से मुलाकात की। प्रतिनिधि मण्डल ने मुलाकात के दौरान नियमावली के लिए सुझाव पत्र सौंपा।
सुझाव पत्र में प्रदेश के सभी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं जैसे कम वेतन, अल्प अवधि के बाद सेवा समाप्ति, अवकाश न मिलना, ईपीएफ कटौती में घोटाला, नौकरी के नाम पर धन उगाही, एक ही पद पर वेतन में भिन्नता आदि समस्याओं को दूर किये जाने के लिए बिंदुवार सुझाव प्रस्तुत किया। प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल व प्रभारी सच्चितानन्द मिश्रा ने बताया कि नियमावली में इन सब बातों का ध्यान दिए जाने से कर्मचारी के हित में एक स्थायी नीति बनकर प्रदेश में लागू होगी।
2 साल से कर रहे मांग
संघ की स्थायी नीति की मांग पिछले 2 वर्ष से कर रहा है जिस पर कई बार विभागीय मंत्री, सचिव से वार्ता हुई और तमाम आंदोलन भी किया गया। शासन की ओर से इस व्यवस्था की समस्याओं को गंभीरता से लिया गया और संघ की इस मांग को जल्द पूरा किये जाने के लिए स्थायी नीति बनायी जा रही।
न्यूनतम वेतन 18000 लागू किये जाने की मांग
सचिव ने बताया कि जल्द ही कैबिनट में पास करवाने के बाद आउटसोर्सिंग नीति प्रदेश में लागू होगी। प्रदेश मडिया प्रभारी सच्चिता नन्द मिश्रा ने शासन से न्यूनतम वेतन 18000 नियमावली में लागू किये जाने की मांग की। संघ के प्रतिनिधि मंडल में प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल, मिडिया प्रभारी सच्चिता नन्द, उपाध्यक्ष रणजीत सिंह यादव, केजीएमयू के महामंत्री अनुज मिश्रा तथा पंचायती राज विभाग के प्रांतीय महामंत्री रामेन्द्र कुमार श्रीवास्तव मौजूद थे।