लखनऊ। लखनऊ की हवा साफ नहीं है। पिछले 120 दिनों में लखनऊ में एक भी दिन हवा राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप स्वच्छ नहीं रही। प्रदूषित हवा में रह रहे लखनऊ के निवासियों को ग्रेडेड एक्शन प्लान की जरुरत है। यह बातें सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान की मुख्य कैम्पेनर एकता शेखर ने सीपीसीबी आंकड़ों के आधाी परकही।
5वें दिन रंग काला
गौरतलब है कि 10 जनवरी को लालबाग क्षेत्र में नगर निगम के सामने सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान द्वारा हेपा फिल्टर युक्त एक जोड़ा कृत्रिम फेफड़ा स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य आम जनता को जागरूक करना था। कृत्रिम फेफड़ा 5वें दिन हालत और खराब हो गयी। पहले कुछ भूरापन था वह और भी गहरा हो गया है। यहां हवा में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम 10 तत्व इन फेफड़ों के बाहरी सतह पर जम चुके हैं, जिनकी वजह से इनका रंग काला हो गया है।
जरूरी कदम उठाने चाहिए
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य सरकार को बिगड़ती हवा को लेकर जरूरी कदम उठाने चाहिए। एनसीएपी की घोषणा भी हो चुकी है, लेकिन लखनऊ की आबोहवा और सम्बंधित विभागों पर अब तक इसका कोई असर नहीं दिख रहा। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों के कार्यालय में हमारे अभियान की ओर से चि_ी जारी कर उन्हें कृत्रिम फेफड़े के पास आने और वायु प्रदूषण कम करने के लिए जरूरी कार्यक्रम पर अमल करने का संकल्प दिलाया जाएगा।
शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 320
प्रदूषण मुक्त लखनऊ अभियान के संयोजक और श्वसन मामलों के जाने माने जानकार डा सूर्य कान्त ने कहा जिस प्रकार यह कृत्रिम फेफड़ा केवल कुछ ही दिनों में काला पड़ गया है, ठीक उसी प्रकार समाज में ज्यादातर लोग काले फेफड़ों के साथ ही जीवन जी रहे हैं। आज लखनऊ शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 320 है, जिसका अर्थ हुआ कि शहर में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति 15 सिगरेट पी रहा है। ऐसे में, अस्पतालों में लगती लम्बी कतारें तभी कम होंगी जब शहर में प्रदूषण कम होगा। समाज के हर एक वर्गों के लोगों को इस सन्दर्भ में एकजुट होना होगा, तभी स्वच्छ हवा वापस पाना मुमकिन हो सकेगा।