लखनऊ। केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने दो माह के बच्चे आर्यन की जिंदगी बचा ली। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि बच्चे का दिल, तिल्ली, आंत और पेट अपने स्थान पर नहीं है। ये अंग गले के नजदीक पहुंच चुका था। डॉक्टरों ने गले तक आए फेफड़े की झिल्ली को खुला ऑपरेशन करने के बजाय सीे में तीन सुराख करके थोरैकोस्कोप विधि से ऑपरेशन किया।
डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर अंगों को सही मुकाम तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल की है। यह ऑपरेशन करीब 45 मिनट तक चला, बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ है। केजीएमयू में इसका खर्च 15 हजार आया है, जबकि दिल्ली और मुंबई के निज अस्पतालों में इसक खर्च दो लाख रुपए आता है।
यह था खास
हरदोई निवासी दुर्गेश गुप्ता के बेटे आर्यन गुप्ता (दो माह) को जन्म के बाद से ही लगातार खांसी बार-बार छाती में संक्रमण की शिकायत थी। बच्चे के पिता केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में लेकर पहुंचे थे। यहां डॉ. आशीष वाखलू के निर्देशन में इलाज शुरू हुआ। डॉ. आशीष ने बच्चे की छाती का एक्सरे कराया। इसमें फेफड़े में झिल्ली (डायफॉम) गड़बड़ नजर आई। बायां फेफड़ा गले के नजदीक था। तिल्ली और छोटी आंत भी पेट के बजाय सीने तक आ चुकी था। फेफड़े के ऊपर होने की वजह से दिल भी दाहिनी ओर खिसक गया था जिससे दूसरा फेफड़ा प्रभावित हो रहा था।
तीन हजार में एक को होती है बीमारी
डॉ. आशीष ने बताया कि चिकित्सा भाषा में इस बीमारी को इंवेंट्रेशन डायफॉम कहा जाता है। यह जन्मजात बीमारी है और तीन हजार शिशु में एक को यह बीमारी होती है। डॉक्टरों का दाव है कि अभ तक देश के किसी भी सरकारी संस्थान ने इस तरह का ऑपरेशन शुरू नहीं किया है। जन्मजात इस बीमारी का ऑपरेशन से कारगर इलाज मुमकिन है। यह ऑपरेशन केजीएमयू में संभव है। अंगों के ऊपर आने से फेफड़ों पर लगातार दबाव बढ़ रहा था। फेफड़े पर दबाव पडऩे से मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। खांसी आ रही थी। निमोनिया हो रहा था। बच्चा दूध पीने में अड़चन आ रही थी।
सीने में तीन सुराख कर किया ऑपरेशन
डॉ. आशीष वाखलू ने बताया कि बच्चे की थोरैकोस्कोपी हुई। इसमें बच्चे की छाती में तीन सुराख किया गया। फेफड़े की झिल्ली को नीचे धकेला गया। उसकी परत पर दो बार टांके लगाए। उसके बाद फेफड़ा, तिल्ली, आंत और दिल अपनी जगह पर आ गए। इससे ऊपर की ओर खिसक चुके अंग अपने स्थान पर पहुंच गए।
ऑपरेशन टीम के सदस्य
पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉ. आशीष वाखलू, डॉ. गुरमीत, डॉ. राहुल, सिस्टर वंदना और एनेस्थिसिया के डॉक्टर शामिल थे।