लखनऊ। केजीएमयू के जर्नल सर्जरी विभाग के डॉक्टर शैलेन्द्र यादव ने 26 साल के युवक अजीत को नया जीवनदान दिया है। डॉक्टर ने युवक की ट्रेकिया स्टेनोसिस नामक जटिल सर्जरी की। मरीज का ऑपरेशन 26 दिसंबर को किया गया। निजी अस्पताल में इसका खर्च करीब 8 से 10 लाख रुपए का आता है जबकि केजीएमयू में कुल खर्च 50 हजार रुपए का आया है। इसमें 40 हजार की दवा और 10 हजार ऑपरेशन का खर्च आया है।
सांस तंत्र की नली में सिकुडऩ की समस्या
डॉ. शैलेन्द्र यादव ने बताया कि अजीत को इससे पहले सिर में गंभीर चोट लगने के कारण निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया था, जहा लंबे समय तक भर्ती रहने के कारण सांस तंत्र की नली में सिकुडऩ की समस्या हो गयी थी। उन्होंने बताया कि लम्बे समय तक आईसीयू भर्ती रहने वाले मरीजों को यह शिकायत अक्सर हो जाती है।
इससे सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। सांस लेने का यह मार्ग काफी सेंसेटिव माना जाता है इसलिए इसका इलाज बेहद ही जोखिम भरा होता है। ज्ञात हो कि ट्रेकिया सांस तंत्र का ऊपरी हिस्सा होता है। सांस की नली में दो छेद होते हैं एक ऊपरी हिस्सा और दूसरा नीचे की तरफ का भाग।
6 सेंटीमीटर का चीरा लगाकर किया ऑपरेशन
उन्होंने बताया कि 22 दिसंबर को केजीएमयू के ईएनटी विभाग में सांस की गंभीर दिक्कतों के साथ भर्ती हुआ था, जहां उसे एक पतली नली से सांस दी जा रही थी। जांच करने पर इस बीमारी का पता चला। ऑपरेशन के दौरान इसकी छाती के बीच की हड्डी को काटने के बाद सांस की नली में 6 सेंटीमीटर का चीरा लगाकर ऑपरेशन किया गया और इसके सिकुड़े हुए भाग को निकाल दिया गया एवं इसमें ट्यूब डाल दिया गया।
एक और ऑपरेशन होगा
उन्होंने बताया कि मरीज अब स्वस्थ है और इसके बाद डिस्चार्ज किए जाने के लगभग 6 से 8 हफ्ते के बाद दूसरी स्टेज के इलाज के लिए एक और ऑपरेशन की आवश्यकता है, जिसमें अब सांस नली के ऊपरी हिस्से का ऑपरेशन किया जाएगा तथा पूरी नली को एक किया जाएगा। ऑपरेशन करने वाली सर्जिकल टीम में डॉ. शैलेन्द्र यादव के साथ डॉ. भूपेन्द्र, डॉ. धीरेन्द्र, डॉ. अभिषेक, डॉ. अजय, डॉ. समीक्षा व ऐनेस्थीसिया टीम में डॉ. रमन व उनकी टीम शामिल थी।