लखनऊ। लोहिया अस्पताल का संस्थान में विलय का मामला एक बार फिर तूल पकड़ लिया। शनिवार सुबह कर्मचारियों ने परिसर में ही नारेबाजी करते हुए जमकर हंगामा किया। इस दौरान कर्मचारियों ने शासन-प्रशासन पर आरोप लगाते कहा कि विलय और समायोजन के लिए कोई स्पष्ट निर्णय नहीं ले रहा है। अस्पताल के कर्मचारियों को महज एक साल के लिए ट्रांजिट समायोजन किए जाने का प्रस्ताव है।
कामकाज ठप कर प्रदर्शन
लोहिया अस्पताल परिसर में शनिवार सुबह ओपीडी के समय कर्मचारी परिसर के मुख्य गेट पर एकत्र हो गए और कामकाज ठप कर प्रदर्शन करने लगे। काफी देर चले प्रदर्शन से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। मरीजों और तीमारदारों को कुछ देर के लिए तो समझ ही नहीं आया कि आखिर क्या हो गया है। पर्चा बनवाने के लिए लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी। मरीज इलाज के लिए परेशान रहे। डॉक्टरों के कमरे में उनके पर्चे भी काफी देर से लगे।
यह कहा गया
लोहिया कर्मचारी अस्तित्व बचाओ मोर्चा के अध्यक्ष देश दीपक त्रिपाठी की अगुवाई में कर्मचारी एकजुट हुए। संगठन मंत्री राजेश शुक्ला ने बताया कि अस्पताल में 520 पद पैरामेडिकल, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के स्वीकृत हैं। इन सभी कर्मचारियों को लोहिया संस्थान में ट्रांजिट समायोजन के आधार पर 31 मार्च, 2020 तक ही नियुक्त करने का प्रस्ताव बनाया गया है।
यह कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। बताया जा रहा है कि प्रदर्शन के दौरान यह तय हुआ है कि 10 नवंबर से कर्मचारी रोजाना दो घंटे कामकाज ठप रखेंगे और 17 नवंबर से अनिश्चितकालीन आंदोलन होगा।