लखनऊ। एसजीपीजीआई के डॉक्टरों ने एक गर्भवती और उसके बच्चे को नया जीवनदान दिया। बताया गया है कि महिला के गर्भ में जुड़वा भ्रूण थे। मेटरनल रीप्रोडक्टिव हेल्थ डिपार्टमेंट (एमआरएच) में पता चला कि एक भ्रूण से दूसरे अविकसित भ्रूण में खून का संचार हो रहा था जिससे भ्रूण के हृदय को खतरा अविकसित भ्रूण का सिर व कमर के ऊपर का कोई हिस्सा विकसित नहीं हो रहा था। आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर जच्चा-बच्चा दोनों की जान बचा ली गई है। बताया जा रहा है कि रेडियो फ्रिक्वेंसी एब्लेशन (आरएफए) नाम की इस तकनीक का इस्तेमाल प्रदेश में पहली बार किया गया। इस तकनीक से पहले ऐसे मामलों में या तो गर्भस्थ शिशु का हृदय फेल होने या समय से कहीं पहले प्रसव होने से शिशु कि मृत्यु हो जाती थी।
अविकसित भ्रूण की खून की आपूर्ति बंद की
एसजीपीजीआई के मैटर्नल एंड रिप्रोडेक्टिव हेल्थ की प्रमुख डॉक्टर मंदाकिनी प्रधान के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने अविकसित भ्रूण की खून की आपूर्ति बंद करके सामान्य भ्रूण की जान बचाने में कामयाबी हासिल की है। अंकिता के पति निशांत ने बताया कि मई में पत्नी को पेट में दर्द हुआ। अस्पताल लाने पर भू्रण के अलावा ट्यूमर होने की बात बताई गई। उसे ब्लीडिंग के साथ तेज पेट दर्द की शिकायत होने पर पीजीआई रेफर कर दिया गया। यहां एमआरएच में भर्ती करने के बाद एचओडी प्रो. मंदाकिनी ने बताया कि जांच में दो भ्रूण का पता चला है। इन दोनों भ्रूण में एक सामान्य था तो दूसरा अविकसित था। सूई से अविकसित भ्रूण की खून की आपूर्ति बंद ही। डॉक्टरों ने भ्रूण और उसके मां की लगातार निगरानी की। बुधवार को ऑपरेशन से प्रसव कराया।
सबसे पहले पेट से पानी निकाला
सामान्य भ्रूण के विकास के लिए जरूरी था कि अविकसित भ्रूण में हो रहे खून के संचार को रोका जाए। बता दें कि गर्भ में सामान्य भ्रूण को सही मात्रा में खून नहीं मिलने के चलते वह फूल गया था और इससे पीडि़ता के पेट में पानी भर गया था। डॉक्टरों ने सबसे पहले पेट से पानी निकाला।
पाचं घंटे का प्रोसीजर
इस प्रक्रिया को करने में पांच विशेषज्ञों की टीम लगी। डॉ. मंदाकिनी के निर्देशन में डॉ. संगीता, डॉ. इंदुलता, डॉ. नीता व डॉ. अमृत की टीम ने यह प्रक्रिया की गई। इसमें लगभग पांच घंटे का समय लगा। डॉ. मंदाकिनी ने बताया कि यह प्रक्रिया बेहद जटिल थी। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में भ्रूण घूमता रहता है। नीडिल के जरिए उस विशेष वाहिका को बर्न किया जाता है। ऐसे में जरा सी चूक सामान्य भ्रूण को बर्न कर सकता है।
सूई का खर्च पीजीआई ने उठाया
अंकिता के गर्भ में पल रहे अविकसित भ्रूण की खून की आपूर्ति बंद करने में प्रयोग की गई सूई की कीमत एक लाख रुपए बताई गई है। इसका खर्च पीजीआई ने ही उठाया है।