लखनऊ| किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में क्लीनिकल हिमैटोलाॅजी विभाग, केजीएमयू द्वारा आईपीएससी टेक्नोलॉजी मोविगं लेब क्लीनिकल ऐप्लिकेशन IPSC technology moving from lab to clinical aplications विषय पर अतिथि व्याख्यान का अयोजन किया गया। इस कार्यक्रम डाॅ रजनीश वर्मा, प्रोग्राम स्पेसिफिक रिसर्चर, सेंटर फाॅर आईपीएस रिसर्च एण्ड एप्लीकेशन (सी आई आर ए) क्योटो, विश्वविद्याल, क्योटो, जापान द्वारा दिया गया।
यह बताया डॉक्टर वर्मा ने
डाॅ वर्मा ने बताया की तकनीक से हम शरीर के किसी भी कोशिका को स्टेम सेल में बदल सकते है और उस सेल से हम शरीर के किसी भी कोशिका को बना सकते है। इस तकनीक के प्रयोग से बाहर से स्टेम सेल लेने की आवश्यकता नही पड़ती है। इस तकनीक से माध्यम से शरीर की कोशिकाओं को उनके बचपन में ले जाते है और फिर उससे जैसा चाहें वैसा काम लिया जा सकता है।
जेनेटिक रोगो के उपचार में प्रयोग
इस तकनीक का हार्ट, ब्रेन, ब्लड कैंसर, कैंसर आदि विभिन्न प्रकार के रोगो एवं जेनेटिक रोगो के उपचार में प्रयोग किया जा सकता है। यह तकनीक किसी अंग के खराब होने जैसे लिवर सिरोसिस आदि में हो जाने पर भी उस अंग की कोशिकाओं को फिर से ठिक कर सकता है। इसे रिजनरेशन मेडिसिन कहते है। इस तकनीक के माध्यम से कृत्रिम ब्लड भी बनाया जा सकता है, जिसे बायो रियेक्टर Bio-reactore कहते है। अभी इस तकनीक से प्लेटलेट्स बनाने का प्रयोग चल रहा है। इस तकनीक के माध्यम से
मरीजो पर यह तकनीक काफी कारगर
सेल्स की वयस्क अवस्था से उसके बचपन में ले जाते है। व्याख्यान में कुलपति प्रो मदनलाल ब्रह्म भट्ट सभी तकनीक की सराहना करते हुए कहा कि इस तकनीक को चिकित्सा विश्वविद्यालय में लाने की सम्भावनाओं को तलाशा जाएगा। कार्यक्रम में प्रो एके त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, क्लीनिकल हिमैटोलाॅजी विभाग द्वारा कहा गया की विभाग में Sickle cell, Thalassemia के मरीजो पर यह तकनीक काफी कारगर होगी। इसलिए विभाग में इस तकनीक के माध्यम से उपचार की सम्भावनाओं पर कार्य किया जाएगा। इस कार्यक्रम में डाॅ एसपी वर्मा, डाॅ एसके सक्सेना सहित विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।