डॉक्टर के अवकाश में रहने पर पहले देखा करते थे मरीज
निदेशक ने कहा मरीज का सामान्य उपचार और रोगी पंजिका ही भर सकता है
लखनऊ। आयुर्वेदिक यूनानी अस्पताल में फार्मासिस्टों ने अपने अधिकारों की मांग को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। राजकीय आयुर्वेद व यूनानी फार्मासिस्ट संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विद्याधर पाठक ने कहा कि यदि हमारी मांगें नहीं मानी गई तो पूरे प्रदेश में एक जून से डॉक्टर के पर्चा लिखने पर दवा का वितरण और दवा रखरखाव का ही कार्य करेंगे। इसके अलावा कोई भी कार्य नहीं किया जाएगा। बता दें कि फार्मासिस्टों द्वारा डॉक्टरों की ना मौजूदगी में सम्पूर्ण जिम्मेदारी निभाया जाता था। कहा जाए तो जो काम डॉक्टर करते हैं वह पूरा काम एक फार्मासिस्ट किया करता था। इन्हें ही फार्मासिस्ट इंचार्ज कहा जाता है। वह एक डॉक्टर की ही भूमिका में होता है।
यह था मामला
बागपत के एक वकील ने आयुर्वेद निदेशक आरआर चौधरी से जानकारी मांगी थी कि क्या फार्मासिस्ट को इलाज का अधिकार है या नहीं। इस बात की जानकारी देते हुए निदेशक ने बताया था कि उन्हें अधिकार नहीं है। इस मामले को लेकर संघ ने 8 मई को एक पत्र निदेशक को भेजा। उस पत्र में जवाब में 9 मई को निदेशक ने पत्र के माध्यम से बताया कि चिकित्साधिकारी के अवकाश या जहां पद रिक्त है, वहां पर फार्मासिस्ट मरीज का सामान्य उपचार और रोगी पंजिका भर सकता है।
सचिव ने वार्ता में यह कहा
24 मई को संघ द्वारा फिर एक सूची निदेशक को भेजी गई। इसके बाद आयुष सचिव मुकेश मेश्राम से इस संबंध में वार्ता की गई। सचिव ने तत्काल ही निदेशक को कहा कि फार्मासिस्टों की मांग का संशोधन करने की बात कही गई थी। ना कि मांग को निरस्त करने की।