लखनऊ। अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में राजधानी के अलीगंज कलास्रोत में परिंदे फाउंडेशन के तत्वावधान में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया। पर्यावरण विषय पर आयोजित इस चित्रकला प्रतियोगिता में शामिल बच्चों ने पर्यावरण शुद्ध रखने का संदेश दिया। बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण को बेहतरीन ढंग से दर्शाया। इस कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ यूनिवर्सिटी की अध्यापिका डॉ. पूजा शर्मा ने किया। इस अवसर पर परिन्दे फाउंडेशन के अध्यक्ष सौरभ श्रीवास्तव, संचियता चतुर्वेदी, श्रेया शुक्ला, पूर्व आईएएस कुसुम शर्मा, सौॅया शुक्ला, अमर राजपूत प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
प्लास्टिक को करें अस्वीकार
लखनऊ। एकल उपयोग प्लास्टिक को अस्वीकार करें और ऐसे प्लास्टिक को इन्कार करें जिसका आप फिर से उपयोग नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार हम एक स्वच्छ और हरित विश्व के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। यह संदेश संयुक्त राष्ट्र महासचिव संयुक्त राष्ट्र एंटोनियो गुटेरेस की ओर से विश्व पर्यावरण दिवस पर दिया गया है। प्लास्टिक का व्यापक उपयोग एक विश्वव्यापी पर्यावरणीय मुद्दा है और प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने में व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं और इसके लिए विशिष्ट प्रयास करने की आवश्यकता है।
अत्यधिक प्लास्टिक का उपयोग हानिकारक
इस साल भारत विश्व पर्यावरण दिवस 2018 समारोहों की मेजबानी कर रहा है। अत्यधिक प्लास्टिक उपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरुकता पैदा करने की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के साथ समन्वय बनाते हुए सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान में को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर संस्थान के द्वितीय निदेशक के सम्मान में डॉ. सीआर कृष्णमूर्ति मेमोरियल का आयोजन किया गया। इस वर्ष 22वां व्याख्यान प्रोफेसर रिकी केज, ग्रैमी अवॉर्ड विजेता, संगीतकार और एडजंक्ट प्रोफेसर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, बेंगलुरू द्वारा दिया गया।
पर्यावरण संरक्षण
सभा का स्वागत करते हुए सीएसआईआर भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन ने कहा कि यह संस्थान के लिए एक गर्व का विषय है कि उसे एक ऐसे ग्रैमी अवॉर्ड विजेता कलाकार की मेजबानी करने का अनूठा अवसर मिला जो संगीत और प्रकृति को मिलाकर दुनिया भर के कलाकारों को पर्यावरण संरक्षण की ओर काम करने के लिए एक साथ लाया है।
पेंटिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को किया पुरस्कृत
प्रोफेसर पीके सेठ, नासी वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्लैटिनम जुबली फेलो और पूर्व निदेशक सीएसआईआर भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान ने समारोह की अध्यक्षता की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और पर्यावरण की देखभाल एक-दूसरे के अभिन्न अंग हैं। प्रकृति के पांच तत्वों को आमंत्रित करना हमारे दैनिक दिनचर्या का भाग है और पूरे ब्रह्मांड के लिए शांति और सद्भाव के लिए प्रार्थना किए बिना कोई भी अवसर पूरा नहीं होता है। इस अवसर पर पिछले सप्ताह स्कूली बच्चों के लिए आयोजित प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त विषय पर पेंटिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।