लखनऊ। केजीएमयू में कर्मचारियों की स्थानान्तरण प्रक्रिया में घोर लापरवाही बरती गयी है। बीते शनिवार को दस कर्मचाारियों का स्थानान्तरण केजीएमयू स्थित एक विभाग से दूसरे विभाग में कर दिया गया है। कर्मचारियों के स्थानान्तरण में अधिकारियों ने नियमों को ताख पर रख दिया है। इतना ही नहीं दागी कर्मचारियों को मलाईदार जगह पर तैनात कर अपनों को खुश करने का काम भी किया गया है। सूत्रों की माने तो अपने चहेतों को अच्छी तैनाती देने के लिए यह स्थानान्तरण किये गये हैं।
केजीएमयू में दस कर्मचारियों को स्थानान्तरण किया गया है। जिसमें से एक कर्मचारी को चार साल बाद उसी जगज पर तैनात कर दिया गया है। जहां से आरोप लगने के बाद उसे हटाया गया था। जानकारों की माने तो चार साल पहले अधिष्ठïान अनुभाग-ई में तैनात कर्मचारी को मारपीट के आरोप के कारण ओरल मेडिसिन एण्ड रेडियोलॉजी विभाग में स्थानान्तरित कर दिया गया था। इस कर्मचारी पर गंभीर आरोप लगे थे। नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य कर्मचारी ने बताया है कि केजीएमयू में कोऑपरेटिव द्वारा कर्मचारियों को लोन दिया जाता है। जिस कर्मचारियों को पैसों की जरूरत होती है,वह कोऑपरेटिव से लोन लेता है और इसी प्रक्रिया में काफी घालमेल भी होता है। इसी तरह के एक मामलें में अनुभाग-ई में तैनात कर्मचारी पर आरोप लगने के बाद हटाया गया था। अनुभाग-ई में तैनाती के लिए कर्मचारीयों में होड़ रहती है। इसी विभाग द्वारा कर्मचारियों की ड्यूटि, मेडिकल , प्रोन्नति आदि की प्रक्रिया की जाती है। इसी के कारण इस विभाग में स्थानान्तरण के लिए खूब जोड़तोड़ भी चलता है।
इसके अलावा नियुक्ति विभाग में कार्यरत सोशल वर्कर की तैनाती बरकार रखी गई है। इसका तर्क यह है कि सोशल वर्कर की योग्यता का कोई भी कर्मचारी केजीएमयू में मौजूद नहीं है। कर्मचारियों का आरोप है कि अफ सरों ने अपने चहेते करीब ४० कर्मचारियों की नियुक्ति उनकी सुविधा के मुताबिक कर दी है। इनकी शिकायत वीसी प्रो. एमएलबी भट्ट से लेकर आला अफ सरों तक से हुई लेकिन कार्रवाई अब तक नहीं की गई।