आर्थराइटिस आज के समय में तेजी से फैल रहा है। यह समस्या बढ़ती हुई उम्र के साथ ज्यादा देखी जा रही है। ऐसे में आप इलाज के दौरान खानपान पर विशेष ध्यान देते हैं। इसके अलावा विशेषज्ञ की सलाह से जीवनशैली में बदलाव करते हैं। वे खाद्य पदार्थ कम खाएं जिनसे एसिड बनता है। नियमित योग करें।
बढ़ती उम्र की गंभीर समस्या
आर्थराइटिस की तकलीफ बढ़ती उम्र की गंभीर समस्या है। हालांकि कुछ लोग सोचते हैं कि मांसपेशी और जोड़ों में दर्द की शुरुआत बढ़ती हुई उम्र की बीमारी है जबकि ऐसा नहीं है। भागदौड़ भरी जिंदगी में युवा भी इस रोग की चपेट में हैं। इस रोग से व्यक्ति की दिनचर्या पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाती है। दर्द और परेशानी की स्थिति ऐसी होती है कि व्यक्ति मानसिक रूप से टूट जाता है। ऐसी स्थिति में संयम के साथ जीवनशैली में सुधार कर कुछ योग क्रियाएं करेंगे तो आराम मिलेगा।
तकलीफ से मानसिक विकार
इस रोग से ग्रसित व्यक्ति मानसिक विकार की चपेट में भी आ जाते हैं। व्यक्ति असहनीय दर्द से इतना मजबूर हो जाता है कि उसका किसी काम में मन नहीं लगता है। आर्थराइटिस का मन और शरीर से सीधा संबंध होता है। इसमें दर्द में कमी आना जरूरी है। यदि दर्द लंबे समय तक रहता है तो उसके व्यवहार में भी बदलाव आता है। इसलिए इस समस्या से निपटने के लिए नियमित योग बेहतर माध्यम है। योग से अधिकांश मरीजों की दिक्कतें कम हुई हैं।
प्रैक्टिस से फायदा
बढ़ती उम्र में ऑर्थराइटिस की समस्या से बचाव के लिए योग की नियमित प्रेक्टिस सेहत के लिए फायदेमंद होती है। मेडिटेशन से इम्युनिटी ठीक होती है। इसमें होने वाले उतार चढ़ाव को संतुलित रखने का काम करती है। नियमित प्रैक्टिस से बीमारी में आराम मिलने के साथ भविष्य में बीमारी की चपेट में आने का खतरा भी कम होता है। बढ़ती हुई उम्र के साथ योग किया जाए तो सेहतमंद रह सकते हैं।
शवासन : शवासन की मुद्रा में लेट जाएं। हाथों और पैरों को शरीर से दूर करें। आंखें बंद कर लें। मन को शांत कर लें। सांस लेते हुए उसपर ध्यान केंद्रित करें। मन को दिमाग से शरीर के सभी हिस्से तक ले जाएं।
ध्यान दें: कमर दर्द की समस्या है या किसी तरह का कोई ऑपरेशन हुआ है तो इस योग को करने से बचें।
फायदा: रोजाना कुछ समय करेंगे तो उतना ही आराम मिलता है जितना आराम कुछ घंटे सोने से मिलता है।
शीतकारी : ध्यान केंद्रित करने की मुद्रा में बैठ जाएं। आंखों को बंद कर लें। जीभ को मुंह में घुमाएं। मुंह से सांस लें। सामान्य मुद्रा में आने के लिए मुंह और जीभ को आराम दे सकते हैं। नाक से सांस ले सकते हैं।
ध्यान दें: दांत नुकीले हैं। जबान बार-बार कटती है तो इसे न करें।
फायदा: नियमित करने से मन और दिमाग शांत रहता है।