बैंगलोर। डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों का हाल बेहाल हो गया है। यह हड़ताल चेन्नई में फेडरेशन ऑफ गवर्नमेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने की है। शनिवार को हड़ताल का दूसरा दिन है। यह हड़ताल वेतन बढ़ाने सहित कई और डॉक्टरों की नियुक्ति की मांग को लेकर किया जा रहा है। इसके अलावा भी कई अन्य मांगें हैं।
हड़ताल से मरीज प्रभावित
डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। डॉक्टरों की मांग है कि उन्हें केंद्र सरकार के डॉक्टरों जितना वेतन दिया जाए। साथ ही मांग है कि समय-समय पर उनकी पद्दोन्नती की जाए। खबरों के अनुसार डॉक्टरों ने कहा है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाती तब तक वह सिऱ्प आपातकाल के अलावा किसी भी मामले में इलाज नहीं करेंगे।
प्रदर्शन करने पर मजबूर किया
इससे पहले डीएमके के अध्यक्ष एम के स्टालिन ने राज्य सरकार से कहा था कि वह हड़ताल कर रहे डॉक्टर के साथ बैठक कर मामला सुलझाएं। इतना ही नहीं स्टालिन ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों ने लिखित प्रतिनिधित्व देने के बाद भी राज्य सरकार कार्रवाई करने में विफल हो गई। स्टालिन ने मुख्यमंत्री एडपाडी के पलनीस्वामी की निंदा करते हुए कहा कि उन्होंने डॉक्टरों को प्रदर्शन करने पर मजबूर कर दिया।
सरकार के साथ बैठकर सुलझाएं मामला
उन्होंने डॉक्टरों से आग्रह किया कि वह सरकार के साथ बैठकर मामले को सुलझाने के प्रयास करें। जानकारी के लिए बता दें कि फेड़रेशन ऑफ गवर्नमेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से दो दिन पहले ही इसकी घोषणा कर दी थी। फेडरेशन के एक सदस्य ने कहा कि वेतन में बढो़तरी, मेडिकल एजुकेशन में कोटा और वादे के अनुसार ज्यादा डॉक्टरों की नियुक्ति की करने को लेकर ये हड़ताल की जा रही है।
ऐसे ही रहेंगे हालात
हड़ताल के दौरान डॉक्टर्स सिर्फ आपातकालीन, लेबर और आईसीयू वार्ड के मरीजों को ही इलाज करेंगे। जब तक ये मामले नहीं सुलझाएगा तब तक आउट पेसेंट सेवा, सर्जरी और अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज नहीं करेंगे।