लखनऊ। दिल की बीमारी भारत में बढ़ती ही जा रही है। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी इसका शिकार हो रही हैं। कम उम्र के लोग भी दिल की बीमारी से अछूते नहीं हैं। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो भारत में 16 प्रतिशत लोग 40 साल से कम उम्र के प्रभावित होते हैं। एक शोध के अनुसार भारत में दिल के रोगो से मरने वालो की संख्या बहुत अधिक है। भारत में 23 प्रतिशत दिल की बीमारी के मरीज Diagnosis के एक वर्ष के भीतर मर जाते हैं।
आंकड़े बोलते हैं
आंकड़े बताते हैं कि बीते एक दशक में युवाओं में हृदय रोग की घटनाओं में 24.8 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। अफसोस की बात तो यह है की सभी भारतीय हृदय रोगियों में से 16 प्रतिशत लगभग 40 वर्ष से कम आयु के हैं। धूम्रपान हमारे हृदय स्वास्थ्य के लिए सबसे बुरी आदतों में से एक है। यह हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों की आंतरिक परत को नुकसान पहुंचाता है और थक्का बनने का खतरा बढ़ जाता है जिससे दिल का दौरा पड़ता है। साथ ही, भारतीयों के बीच एक बहुत ही प्रचलित जोखिम कारक उच्च LDL cholesterol की मात्रा और अच्छे Cholesterol (एचडीएल) के निम्न स्तर का संयोजन है।
यह कारण हैं
Apolomedics Hospital के चेयरमैन और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुशील गट्टानी ने कहा, दिल की बीमारीयों से लड़ने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए जीवनशैली में बदलाव सबसे महत्वपूर्ण है। दिल की समस्याओं से ग्रस्त युवाओं को धूम्रपान, शराब से दूर रहना चाहिए और तनावमुक्त जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए। युवाओं को नियमित रूप से अपनी पसंद की किसी भी खेल गतिविधि में शामिल होना चाहिए, योग एक और मजबूत विकल्प के रूप में सामने आया है और तनाव को कम करने में बहुत प्रभावी साबित हुआ है।
हर उम्र के लोग पीड़ित
18 साल से अधिक उम्र के हर व्यक्ति को अपना रक्तचाप, शुगर और cholesterol नियमित रूप से जांच करवाना चाहिए। सभी प्रतिष्ठानों को काम के स्थानों पर ऐसे उपकरण उपलब्ध कराने चाहिए ताकि लोग आसानी से उन तक पहुंच सकें। हृदय जैसे रोगों को पहले पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले रोगो के साथ जोड़ा जाता था लेकिन अब हर age and gender के लोगों को heart disease हो रहे हैं। इसे हमेशा टाला नहीं जा सकता लेकिन जीवन में कम से कम बहुत बाद में धकेला जा सकता है। ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका आज से शुरू होने वाली स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना है।