लखनऊ। केजीएमयू के ब्लड बैंक में मंगलवार को रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में केजीएमयू के 95 छात्रों ने रक्तदान किया। यह शिविर भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जयंती पर स्वामी विवेकानंद यूथ ऑफ मेडिकोज की तरफ से किया गया।
रक्तदान के बारे में बताया
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के डीन प्रो. जीपी सिंह, न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो आर के गर्ग, चीफ प्राक्टर प्रो. आरएएस कुशवाहा तथा गैस्ट्रोलाजी के विभागाध्यक्ष प्रो. सुमित रुंगटा ने अपने विचार रखे। उपस्थित वक्ताओं ने रक्तदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रक्तदान न केवल रक्त पाने वाले के लिए फायदेमंद है बल्कि देने वालों के शरीर में भी नया खून बनाने का एक माध्यम है।
तनाव में बिता रहे अपना जीवन
इसके साथ ही विश्वविद्यालय के सेल्बी हाल में स्वस्थ्य एवं सुखी डॉक्टर विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर वर्तमान में बेस्टसेलर बुक ‘पंचवटीÓ के लेखक डॉ. दिव्य नारायण उपाध्याय मुख्यवक्ता के रूप में अपना विचार रखा। उन्होंने बताया कि हम सभी इस समय तनाव में अपना जीवन बिता रहे हैं जिससे सफलता तो मिल रही है लेकिन उससे संतुष्टि और खुशी नहीं मिल पा रही है।
डॉ. कलाम के बारे में दी जानकारी
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्र सरकार के नेहरू युवा केन्द्र के बोर्ड ऑफ गवर्नर के मेम्बर एवं युवाकुम्भ के राष्ट्रीय संयोजक रहे शतरुद्र प्रताप थे। उन्होंने बताया कि डॉ. कलाम किस तरह से हर कठिन परिस्तिथि से उबरकर देश के इतने बड़े धरोहर बन गये। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को अपने अत्यधिक व्यस्तता के बावजूद संवेदनशील रहना सीखना होगा।
छात्रों को कुलपति ने किया सम्मानित
कार्यक्रम के अंत में एक इंटरैक्शन सेशन रखा गया जिसमें छात्रों ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट और प्रो. संदीप तिवारी से प्रश्न पूछे। अच्छे प्रश्न पूछने वाले सभी छात्रों को कुलपति ने सम्मानित भी किया। इस अवसर पर नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन अवध प्रांत की तरफ से आयोजित विभिन्न मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं के बीच आयोजित शतरंज प्रतियोगिता के पदक विजेताओं को सम्मानित भी किया गया।
पेड़ों की खरीददारी की
कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने एक पेड़ का स्टॉल लगाया था जिस पर विभिन्न संकाय सदस्यों तथा छात्रों ने पेड़ों की खरीददारी भी की। कार्यक्रम का संचालन मेधा गुप्ता, अनुराग अग्रवाल, विवेक सोनी एवं अमुल्य राय ने किया। जबकि धन्यवाद डॉ भूपेंद्र सिंह ने किया।