
पिछले डेढ़ माह में लगभग हर दिन किसी न किसी मासूम को जिलाअस्पताल में गम्भीर बीमारी के चलते अपनी जान गवानी पड़ी है। इस प्रकार अगर आकड़ो पर नजर डाले तो पिछले 45 दिनों में लगभग 70 बच्चो की जाने जा चुकी है।
सितंबर में भर्ती एक हजार में 27 की मौत
प्राप्त आंकड़े के अनुसार बीते अगस्त में 1250 के करीब मरीज भर्ती किये गए जिनमे से कुल 24 ने अपनी जान गवाई तो वही इस माह आंकड़े और भी डरा देने वाले है। सितम्बर में बीती 16 तारीख तक या यूं कहें कि मात्र 15 दिनों में ही 1000 से ज्यादा मरीज भर्ती हुए है जिनमे से 27 की जान जा चुकी है। इसके साथ ही साथ अगर अस्पताल लाये जाने के तुरंत बाद ही मृत बच्चो को भी जोड़ ले तो यह आंकड़ा 70 के पार निकल जाता है।
अस्पताल की फर्श पर बेड बनाकर इलाज
इस पर जिला अस्पताल के चिकित्सको का यह कहना है कि जिला अस्पताल में लाये गए हर बीमार बच्चे को बचाने का हर सम्भव प्रयाश किया जाता है लेकिन तराई क्षेत्र में बड़ी संख्या में मरीजो के साथ साथ पड़ोसी मुल्क नेपाल व अन्य जिलों से आये हुए मरीजो से अस्पताल की क्षमता से कही ज्यादा मरीज हो जाते है जिनके इलाज के लिये अस्पताल की टीम को अत्यधिक मेहनत के साथ साथ मानवता के नाते सीमाओं को लांघ कर कार्य करना पड़ता है। जिसके उदहारण के तौर पर आप अस्पताल की फर्श पर बेड बनाकर इलाज करने को ही ले ले। क्योकि सभी बेड भर जाने के बाद जो भी मरीज आते है उनको चिकित्सा देने हेतु हम हर सम्भावना पर कार्य करते है।
इन्फ़ेक्सन के कारण बढ़ रहे मरीज
डॉ के के वर्मा ने बताया कि तराई क्षेत्र में इन्फ़ेक्सन के कारण बढ़ रहे मरीज, रही बात मौतों की तो आस-पास के जिलों (गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर) सहित नेपाल से लाये गए बच्चे जिनकी हालत पहले से ही बहुत खराब होती है, जिनको भी हमारी टीम बचाने का पूरा प्रयाश करती है पर हर बार हम सफल नही हो पाते।