लखनऊ। केजीएमयू में आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा हेराफेरी का मामला प्रकाश में आया है। इस बार बात सामने आई है कि संविदा कर्मचारियों से 30 दिन काम कराने के बाद 26 दिन का वेतन दिया जाता है। ऐसा आउटसोर्सिंग के माध्यम से मानव संसाधनों की आपूर्ति करने वाली एक निजी कंपनी मिश्रा सर्विसेज और यहां के परीक्षा विभाग की मिलीभगत से हुआ है। यही नहीं इन 26 दिनों में पडऩे वाले त्यौहारों के भी पैसे काट लिए जाते हैं।
यह लगाया है आरोप
ताजा मामला केजीएमयू स्थित परीक्षा विभाग का है। जिसमें महीने में 30 दिन का काम कराकर 26 दिन की सैलरी देने का आरोप लगा है। आरोप यहां के संविदा कर्मचारियों ने लगाया है। वहीं त्यौहारों के भी पैसे काटने का आरोप लगाया गया है। कर्मचारियों का कहना है कि जब 26 दिन की सैलरी देने का नियम है तो इसमें पडऩे वाले त्यौहारों के पैसे क्यों काटे जाते हैं जबकि हमसे उस दिन भी काम लिया जाता है। कर्मचारियों ने बताया कि पीएफ काटने के बाद भी सभी कर्मचारियों की सैलरी में भारी असमानता देखने को मिलती है।
एक साल से आ रही ऐसी दिक्कत
कर्मचारियों की मानें तो इस तरह की दिक्कतें जनवरी 2018 से ही आ रही है। उससे पहले सब कुछ ठीक था। यहां तक कि इन्होंने इस सम्बन्ध में परीक्षा नियत्रंक से दो बार शिकायत की लेकिन उन्होंने इस पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं की। इस बारे में केजीएमयू के परीक्षा विभाग में कार्यरत आउटसोर्सिंग कम्पनी मिश्रा सर्विसेज के अधिकारी का कहना है कि शासन द्वारा त्यौहारों के पैसे नहीं दिए जाते हैं। महीने में 26 दिन काम और चार दिन छुट्टी मिलती है। जब कर्मचारियों द्वारा यहां 30 दिन काम करने की बात कही गई तो उसने कहा कि ये विभाग समझे।
इन्होंने यह कहा
संयुक्त संविदा आउटर्सोसिंग के अध्यक्ष रितेश मल्ल ने कहा कि नियम से कर्मचारियों से महीने में 26 दिन काम कराने का निर्देश है लेकिन यहां 30 दिन उनसे काम लिया जाता है। उनको सैलरी भी 26 दिन की ही दी जाती है। जबकि विभाग और कम्पनियां द्वारा 30 दिन की सैलरी बनाकर शेष चार दिनों का गबन कर जाती हैं। वहीं केजीएमयू परीक्षा विभाग के परीक्षा नियंत्रक एके सिंह ने कहा कि जहां तक कर्मचारियों के वेतन कटने का मामला है तो हो सकता वह छुट्टी पर रहे हों। वैसे शिकायत भी मिली थी मामले को संज्ञान में लेंगे।